Sahriya Janjati Ke lok nritya - सहरिया जनजाति के लोकनृत्य
सहरिया जनजाति के लोकनृत्य को इस पोस्ट में बेहतरीन ट्रिक्स से याद करते हैं। राजस्थान की अन्य जनजातियों के नृत्य भी गजब ट्रिक्स से आपको उपलब्ध करवाई गई है। जिसकी लिंक नीचे दी गई है।सहरिया जनजाति के लोकनृत्य -
ट्रिक- सहरिया इधर सिगार बुझा लेगीस - सांग | इ - इंद्रपरी | सिगार - शिकार | बु - बिछवा | झा - झेला | लेगी - लंहगी
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• इस नृत्य में स्त्री व पुरुष दोनों द्वारा भागीदारी की जाती है।
• यह मुख्य रूप से बारां जिले की किशनगंज तथा शाहबाद तहसील में किया जाता है।
• इस नृत्य में पुरुष शिकार का नाटक करते हैं तथा शिकार हो जाने पर उसके चारों और नृत्य करते हैं।
~ सांग नृत्य -
• यह नृत्य सहरिया जनजाति का युगल नृत्य है।• इस नृत्य में स्त्री व पुरुष दोनों द्वारा भागीदारी की जाती है।
~ इंद्रपुरी नृत्य -
• यह नृत्य सहरिया जनजाति द्वारा रागिनी गीत पर किया जाता है। विवाह के अवसर पर इस नृत्य का आयोजन किया जाता है।~ शिकारी नृत्य -
• शिकारी नृत्य सहरिया जनजाति के पुरुषों के द्वारा किया जाता है।• यह मुख्य रूप से बारां जिले की किशनगंज तथा शाहबाद तहसील में किया जाता है।
• इस नृत्य में पुरुष शिकार का नाटक करते हैं तथा शिकार हो जाने पर उसके चारों और नृत्य करते हैं।
~ बिछवा नृत्य -
• यह नृत्य सहरिया जनजाति की केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है। इसमें महिलाएं समूह बनाकर नृत्य करती है।~ झेला नृत्य -
• यह नृत्य बारां जिले की शाहबाद तहसील में स्त्री व पुरुषों के द्वारा खेतों में फसल की पकाई के समय किया जाता है।~ लहंगी नृत्य -
• यह नृत्य सहरिया जनजाति के द्वारा किया जाता है।Rajasthan Ke Lok Nritya Watch Full YouTube Video - Click HERE
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