राजस्थान के प्रमुख जैन मंदिर - Rajasthan ke Jain Mandir | Rajasthan Jain Temple | केवल परीक्षाओं से संबंधित

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Hello friends, इस पोस्ट में हम राजस्थान के प्रमुख जैन मंदिरों की जानकारी प्राप्त करेंगे। अगर आप राजस्थान के अन्य मंदिरों की भी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो उसकी Link इस पोस्ट के अंत में दी है। इसके अलावा इन नोट्स की PDF की लिंक भी नीचे मिल जाएगी।

राजस्थान के प्रमुख जैन मंदिर - Rajasthan ke Jain Mandir

Rajasthan ke Jain Mandir

देलवाड़ा के जैन मंदिर -

सिरोही के माउंट आबू के पास दिलवाड़ा के पांच जैन मंदिर है, जिनमें विमल वसही आदिनाथ जैन मंदिर, लूणवसही नेमिनाथ का जैन मंदिर, पित्तलहर या भीमाशाह का जैन मंदिर, पार्श्वनाथ जैन मंदिर, महावीर स्वामी जैन मंदिर है ।

(I) विमल वसही आदिनाथ जैन मंदिर -

इस मंदिर का निर्माण गुजरात के सोलंकी राजा भीमदेव के मंत्री विमलशाह ने करवाया था। इस मंदिर का शिल्पकार कीर्तिधर था। इस मंदिर में आदिनाथ जी (ऋषभदेव जी) की आंखों में हीरे लगे हैं।

विमल वसही आदिनाथ जैन मंदिर

(II) लूणवसही नेमिनाथ का जैन मंदिर -

इस मंदिर का निर्माण चालुक्य राजा वीर धवल के महामंत्री तेजपाल व वास्तुपाल ने करवाया था। इस मंदिर के शिल्पकार शोमनदेव थे। यह मंदिर जैन धर्म के 22वें तीर्थकर नेमिनाथ जी का मंदिर है। इस मंदिर को देवरानी-जेठानी का मंदिर भी कहा जाता है।
 
लूणवसही नेमिनाथ का जैन मंदिर

(III) पित्तलहर या भीमाशाह का जैन मंदिर -

इस मंदिर का निर्माण भीमाशाह ने 15वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर में जैन धर्म के पहले तीर्थंकर आदिनाथ जी की 108 मण की पीतल की मूर्ति लगी है। इसलिए इसे पित्तलहर मंदिर कहा जाता है।

पित्तलहर या भीमाशाह का जैन मंदिर

(IV) पार्श्वनाथ का जैन मंदिर -

पार्श्वनाथ जी जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे। इस मंदिर को सिलावटों का मंदिर भी कहा जाता है।

पार्श्वनाथ का जैन मंदिर

(V) महावीर स्वामी जैन मंदिर -

महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें व अंतिम तीर्थंकर थे। इस मंदिर में मुख्य प्रतिमा महावीर स्वामी जी की है।

महावीर स्वामी जैन मंदिर 

ऋषभदेव जैन मंदिर -

यह मंदिर उदयपुर के धूलेव में कोयल नदी के तट पर जैन तीर्थंकर ऋषभदेव जी का मंदिर है। इसे केसरियानाथ जी व कालाजी के नाम से जाना जाता है। ऋषभदेव जी का यह मंदिर 1100 खंभों पर निर्मित है।
 
ऋषभदेव जैन मंदिर

भगवान कुंथुनाथ का जैन मंदिर -


इस मंदिर का निर्माण 1449 में महाराणा कुंभा ने करवाया था। सिरोही जिले के दिलवाड़ा में बना यह मंदिर जैन तीर्थंकर कुंथुनाथ जी का है।

भगवान कुंथुनाथ का जैन मंदिर

नाकोडा का पार्श्वनाथ मंदिर -

यह मंदिर बालोतरा जिले में भाकरिया पहाड़ी पर बना है, जिसे 'मेवानगर व वीरमपुर' कहा जाता है। यह मंदिर श्री पार्श्वनाथ जी व भैरवजी का मंदिर है, जिन्हें 'हाथ का हजूर' और 'जागती जोत' कहा जाता है।

लोद्रवा का पार्श्वनाथ मंदिर -

यह मंदिर जैसलमेर जिले के लोद्रवा में है। इस मंदिर पर महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी के आक्रमण के बाद इसका पुनर्निर्माण 1675 में जैसलमेर के जैन श्रावक धीरूसाह भंसाली ने गुजरात के पाटन से प्रतिमा लाकर किया था।
लोद्रवा का पार्श्वनाथ मंदिर

रणकपुर जैन मंदिर -

पाली जिले का रणकपुर उत्तरी भारत में जैन धर्म के श्वेतांबर संप्रदाय का प्रमुख स्थान है। यहां पर तीन जैन मंदिर तथा एक वैष्णव मंदिर हैं।

रणकपुर जैन मंदिर

(I) आदिनाथ जैन मंदिर -

इस मंदिर का निर्माण मथाई नदी के किनारे धरणशाह सेठ ने करवाया था। इसे धरणी विहार, रणकपुर का चौमुखा मंदिर, नलिनी गुल्म-विमान, त्रैलोक्य दीपक व श्री चतुर्भुज युगादीश्वर विहार भी कहा जाता है।
इस मंदिर का मुख्य शिल्पकार सोमपुरा ब्राह्मण देपाक था, जबकि मंदिर की प्रतिष्ठा सोमसुंदर सूरि ने करवाई थी।
इस मंदिर में 24 मंडप, 84 शिखर तथा 1444 स्तंभ है। इस कारण इसे 'स्तंभों का वन' भी कहा जाता है।

(II) नेमिनाथ का जैन मंदिर -

यह मंदिर आदिनाथ मंदिर के पास ही बना है। इस मंदिर की दीवारों पर नग्न तथा संभोग करते युगलों की मूर्तियां उत्कीर्ण की गई है, इसलिए इस मंदिर को पातरियां रो देहरो (वेश्याओं का मंदिर) कहा जाता है।

(III) पार्श्वनाथ जैन मंदिर -

यह मंदिर नेमिनाथ जी के मंदिर के पास है, जिसमें काले रंग की पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा लगी हुई है।

(IV) सूर्य नारायण का मंदिर -

यह मंदिर पार्श्वनाथ जी के मंदिर से थोड़ी दूर पर बना है, जो वैष्णव संप्रदाय का मंदिर है।

ओसियां का जैन मंदिर -

यह जैन मंदिर जोधपुर ग्रामीण जिला की ओसियां तहसील में है। जैन धर्मावलंबियों ने 1178 ईस्वी में महिषासुर मर्दिनी देवी को अहिंसक रूप प्रदान कर 'संचिया माता' के रूप में मंदिर का निर्माण करवाया था। संचिया माता श्वेतांबर जैन संप्रदाय के ओसवाल समाज की इष्ट व कुलदेवी है।

ओसियां का जैन मंदिर

श्री महावीर जैन मंदिर -

इस मंदिर का निर्माण करौली जिले में गंभीरी नदी के किनारे अमर चंद बिलाला ने करवाया था। यहां पर महावीर जयंती (चैत्र शुक्ल त्रयोदशी) पर प्रतिवर्ष चार दिवसीय विशाल मेला लगता है, जिसमें 'जिनेंद्र रथ यात्रा' निकाली जाती है।
 
श्री महावीर जैन मंदिर

तिजारा जैन मंदिर -

यह मंदिर खैरथल-तिजारा जिले की तिजारा तहसील में है। इस मंदिर में 8वें जैन तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु की प्रतिमा स्थापित है।

तिजारा जैन मंदिर

भांडासाह जैन मंदिर -

इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के गंगाशहर में भीनासर के घी व्यवसायी भांडासाह ओसवाल ने 1488 ईस्वी में करवाया था। यह मंदिर जैन धर्म के 5वें तीर्थंकर सुमतिनाथ जी का मंदिर है। इस मंदिर को निज मंदिर, घी वाले मंदिर व त्रिलोक दीपक प्रसाद भी कहा जाता है।

भांडासाह जैन मंदिर

नौगांवा के जैन मंदिर -

श्री मल्लिनाथ जी का यह मंदिर अलवर के राजगढ़ में है। इस मंदिर में मल्लिनाथ जी की प्रतिमा की पीठ पर प्रशस्ति अंकित है।
 
नौगांवा के जैन मंदिर

शांतिनाथ जैन मंदिर -

यह मंदिर झालावाड़ के झालरापाटन में बना है, जो सूर्य मंदिर निर्माण शैली में है।

चांदखेड़ी का जैन मंदिर -

यह मंदिर झालावाड़ के खानपुर कस्बे में बना है, जो भगवान आदिनाथ का दिगंबर जैन मंदिर है।
 
चांदखेड़ी का जैन मंदिर

नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर -

यह मंदिर झालावाड़ के उन्हेल गांव में बना है, जिसमें पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा 2500 वर्ष पुरानी है।

मुंछाला महावीर जी का मंदिर -

यह मंदिर पाली जिले के अभयारण्य में बना है। इस मंदिर में लगी महावीर जी की प्रतिमा मूंछों वाली है।

मुंछाला महावीर जी का मंदिर

सांडेराव का शांतिनाथ मंदिर -

पाली जिले में बने इस मंदिर का निर्माण गंधर्वसेन करवाया था।

आहड के जैन मंदिर -

उदयपुर के आहड़ में बने यह जैन मंदिरों का समूह है। यह स्थान 'तपागच्छ' शिष्य परंपरा के रूप में पहचाना जाता है।

त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर

त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर -

यह मंदिर हाड़ौती प्रदेश का पहला व राजस्थान का दूसरा त्रिकाल चौबीसी मंदिर है।

श्रृंगार चंवरी -

चित्तौड़गढ़ दुर्ग में बना यह मंदिर शांतिनाथ जी का जैन मंदिर है। इसकी प्रतिष्ठा खरतरगच्छ के आचार्य जिनसेन सुरि ने की थी। इस मंदिर का जीर्णोद्धार महाराणा कुंभा के भंडारी बेलाक ने 1448 में करवाया था।

श्रृंगार चंवरी

सतबीस देवरी -

चित्तौड़गढ़ दुर्ग में फतेह प्रकाश महल के पास बना यह मंदिर एक जैन मंदिर है। इस मंदिर में 27 देवरियां बनी होने के कारण इसे 'सतबीस देवरी' कहा जाता है।

सतबीस देवरी

नौगजा जैन मंदिर -

यह मंदिर अलवर में नीलकंठ मंदिर के पास बना जैन मंदिर है, जो वर्तमान में खंडहर रूप में है। इस मंदिर का निर्माण 979 ईसवी में गुर्जर प्रतिहार शासक महिपाल के शासनकाल में सिंहप्रदेश के शिल्पी सर्वदेव ने करवाया था।

नौगजा जैन मंदिर

बांसवाड़ा का जैन मंदिर -

यह मंदिर बांसवाड़ा के कलिंजरा ग्राम में हिरन नदी के तट पर है। जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के इस मंदिर में ऋषभदेव जी व पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा लगी है।
 
बांसवाड़ा का जैन मंदिर

फालना का जैन मंदिर -

पाली जिले में बने इस मंदिर को मिनी मुंबई व गेटवे ऑफ गोल्डन के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर त्रि-शिखरी है, जो रणकपुर व देलवाड़ा मंदिरों की तर्ज पर बना है।

फालना का जैन मंदिर

चमत्कार जी जैन मंदिर -

सवाई माधोपुर में बना यह मंदिर श्री चमत्कार जी का मंदिर है। इस मंदिर में स्फटिक पाषाण की भगवान ऋषभदेव जी की प्रतिमा स्थापित है।

चमत्कार जी जैन मंदिर

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