राजस्थानी जनजातियों के लोक नृत्य ट्रिक्स से
Hello Friends इस Blog में भील जनजाति, गरासिया जनजाति, सहरिया जनजाति, कथौड़ी जनजाति, मेव जाति, कंजर जाति, गुर्जर जाति, बणजारा जाति, कालबेलिया जाति, मीणा जाति, नट जाति आदि के लोकनृत्यों को ट्रिक्स के साथ देखेंगे।राजस्थान के नए जिले 2023 - CLICK HERE
भील जनजाति के लोकनृत्य -
ट्रिक- भीलों ने गदा से सुअर का शिकार कर गुंगा हाथी दो बार युद्ध में घुमायालों - लाठी | ने - नेजा | ग - गौरी,गैर | सुअर का - सुकर का मुखौटा | शिकार - शिकार | र - रमणी | गु - गवरी | गा - गवरी की गाई (गम्मत) | हाथी - हाथिमना | दो - द्विचक्री | बार - बेरीहाल | युद्ध में - युद्ध | घुमाया - घूमरा/झूमर
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युद्ध नृत्य-
√ युद्ध कला का प्रदर्शन
√ फाइरे फाइरे - मांदल वाद्ययंत्र का प्रयोग
√ राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंध
शिकार नृत्य-
√ शिकार की कला का प्रदर्शन
√ धनुर्विद्या का प्रदर्शन
नेजा नृत्य-
√ स्त्री व पुरुषों के द्वारा - होली के तीन दिन बाद
√ पुरुष खंभे पर बांधे नारियल को लेने का प्रयास - महिलाएं छड़ियो और बेंतों से पुरुषों को रोकती है
√ 'पगल्या लेना' नामक थाप
गौरी नृत्य-
√ उदयपुर के आसपास नाटक के रूप में - भाद्रपद पूर्णिमा के एक दिन पहले
√ माता पार्वती के पीहर गमन से जुड़ी घटनाएं नाटक के रूप में
घूमरा / झूमर नृत्य-
√ गुजरात के गरबा नृत्य से समानता
√ अर्द्धवृत्ताकार घेरा
गैर नृत्य -
√ होली के अवसर पर
√ भील पुरुष
गवरी / राई नृत्य-
√ राजस्थान राज्य की सबसे प्राचीन लोक नाटक कला - गवरी/राई नृत्य
√ लोकनाट्यों का मेरुनाट्य
√ गवरी लोक नाटक भारत का एकमात्र लोक नाट्य - दिन में प्रदर्शित
√ मुख्य पात्र - भगवान शिव और पार्वती
√ भगवान शिव का रूप धारण करने वाले नर्तक - पुरिया
√ अन्य नर्तक - खेल्ये
गवरी की घाई (गम्मत) -
√ गवरी लोक नृत्य नाटक में अलग-अलग प्रसंगों को जोड़ने वाले नृत्य - गवरी की घाई (गम्मत)
√ नाटक का सूत्रधार - कुटकुडिया
√ कविता बोलने वाले को - झामट्या
√ दोहराने वालों को - खट्कडि़या
√ भानु भारती ने गवरी लोकनाट्य पर आधारित - 'पशु गायत्री' नामक लोक नाटय की रचना
लाठी नृत्य-
√ पुरुष प्रधान
√ पुरुष हाथ में लाठी लेकर कलाओं का प्रदर्शन - नृत्य
द्विचक्री नृत्य -
√ पुरुष व महिलाओं द्वारा दो चक्र
√ पुरुष बाहरी चक्कर में बाएं से दाएं और महिलाएं अंदर के चक्कर में दाएं से बाएं
√ विवाह के अवसर
सुकर का मुखौटा नृत्य -
√ नाटक - केवल राजस्थान
√ एक शिकारी द्वारा सुकर का मुखौटा पहने व्यक्ति को मारने का अभिनय
हाथिमना नृत्य -
√ विवाह के अवसर
√ व्यक्ति हाथ में तलवार लेकर गोल घेरे में बैठकर नृत्य
रमणी नृत्य -
√ विवाह मंडल के सामने विवाह के अवसर
बेरीहाल नृत्य -
√ उदयपुर के खैरवाड़ा के पास बाण्दा गांव में रंग पंचमी
√ बेरीहाल एक ढोल है जिसे बीच में रखकर उसके चारों ओर नृत्य किया जाता है
√ युद्ध कला का प्रदर्शन
√ फाइरे फाइरे - मांदल वाद्ययंत्र का प्रयोग
√ राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंध
शिकार नृत्य-
√ शिकार की कला का प्रदर्शन
√ धनुर्विद्या का प्रदर्शन
नेजा नृत्य-
√ स्त्री व पुरुषों के द्वारा - होली के तीन दिन बाद
√ पुरुष खंभे पर बांधे नारियल को लेने का प्रयास - महिलाएं छड़ियो और बेंतों से पुरुषों को रोकती है
√ 'पगल्या लेना' नामक थाप
गौरी नृत्य-
√ उदयपुर के आसपास नाटक के रूप में - भाद्रपद पूर्णिमा के एक दिन पहले
√ माता पार्वती के पीहर गमन से जुड़ी घटनाएं नाटक के रूप में
घूमरा / झूमर नृत्य-
√ गुजरात के गरबा नृत्य से समानता
√ अर्द्धवृत्ताकार घेरा
गैर नृत्य -
√ होली के अवसर पर
√ भील पुरुष
गवरी / राई नृत्य-
√ राजस्थान राज्य की सबसे प्राचीन लोक नाटक कला - गवरी/राई नृत्य
√ लोकनाट्यों का मेरुनाट्य
√ गवरी लोक नाटक भारत का एकमात्र लोक नाट्य - दिन में प्रदर्शित
√ मुख्य पात्र - भगवान शिव और पार्वती
√ भगवान शिव का रूप धारण करने वाले नर्तक - पुरिया
√ अन्य नर्तक - खेल्ये
गवरी की घाई (गम्मत) -
√ गवरी लोक नृत्य नाटक में अलग-अलग प्रसंगों को जोड़ने वाले नृत्य - गवरी की घाई (गम्मत)
√ नाटक का सूत्रधार - कुटकुडिया
√ कविता बोलने वाले को - झामट्या
√ दोहराने वालों को - खट्कडि़या
√ भानु भारती ने गवरी लोकनाट्य पर आधारित - 'पशु गायत्री' नामक लोक नाटय की रचना
लाठी नृत्य-
√ पुरुष प्रधान
√ पुरुष हाथ में लाठी लेकर कलाओं का प्रदर्शन - नृत्य
द्विचक्री नृत्य -
√ पुरुष व महिलाओं द्वारा दो चक्र
√ पुरुष बाहरी चक्कर में बाएं से दाएं और महिलाएं अंदर के चक्कर में दाएं से बाएं
√ विवाह के अवसर
सुकर का मुखौटा नृत्य -
√ नाटक - केवल राजस्थान
√ एक शिकारी द्वारा सुकर का मुखौटा पहने व्यक्ति को मारने का अभिनय
हाथिमना नृत्य -
√ विवाह के अवसर
√ व्यक्ति हाथ में तलवार लेकर गोल घेरे में बैठकर नृत्य
रमणी नृत्य -
√ विवाह मंडल के सामने विवाह के अवसर
बेरीहाल नृत्य -
√ उदयपुर के खैरवाड़ा के पास बाण्दा गांव में रंग पंचमी
√ बेरीहाल एक ढोल है जिसे बीच में रखकर उसके चारों ओर नृत्य किया जाता है
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ग - गर्वा | रा - रायण | गो - गौर | कु - कूद | ल - लूर | मा - मांदल | वा - वालर | मौ - मोरिया | जा - जवारा
गर्वा नृत्य -
√ गरासिया जाति की स्त्रियों द्वारा
√ मुख्य रूप से यह सिरोही व उदयपुर में
रायण नृत्य -
√ केवल पुरुष
√ महिलाओं के वस्त्र पहनकर
गौर नृत्य -
√ गणगौर के अवसर पर
√ स्त्री पुरुषों द्वारा युगल जोड़े में चैत्र शुक्ल चतुर्थी
कूद नृत्य -
√ गरासिया की स्त्री व पुरुषों के द्वारा
√ बिना किसी वाद्ययंत्र के उछल कूद करते हुए
√ लय व ताल के लिए तालियों का इस्तेमाल
लूर नृत्य -
√ गरासिया जनजाति की लूर गोत्र की महिलाओं के द्वारा मेले व शादी के अवसर
√ घूमर नृत्य का ही एक रूप
मांदल नृत्य -
√ गरासिया महिलाओं के द्वारा
√ गुजराती गरबे की झलक
√ महिलाएं वृत्ताकार घूमती - मांदल वाद्य यंत्र का प्रयोग
वालर नृत्य -
√ गरासिया जाति का घूमर
√ स्त्री व पुरुष अर्धवृत्ताकार रूप में धीमी गति से
√ विवाह, होली व गणगौर के अवसर
√ किसी वाद्य यंत्र का प्रयोग नहीं
मोरिया नृत्य-
√ विवाह के अवसर पर गणपति स्थापना के बाद
√ रात्रि को पुरुषों के द्वारा
जवारा नृत्य -
√ होली दहन के पहले उसके चारों ओर घेरा बनाकर ढोल की आवाज पर स्त्री पुरुषों के द्वारा
√ महिलाएं ज्वारों की बालियां लिए
गरासिया जनजाति के लोकनृत्य -
ट्रिक- गरासिया गोकुल में मावां की मौजाग - गर्वा | रा - रायण | गो - गौर | कु - कूद | ल - लूर | मा - मांदल | वा - वालर | मौ - मोरिया | जा - जवारा
गर्वा नृत्य -
√ गरासिया जाति की स्त्रियों द्वारा
√ मुख्य रूप से यह सिरोही व उदयपुर में
रायण नृत्य -
√ केवल पुरुष
√ महिलाओं के वस्त्र पहनकर
गौर नृत्य -
√ गणगौर के अवसर पर
√ स्त्री पुरुषों द्वारा युगल जोड़े में चैत्र शुक्ल चतुर्थी
कूद नृत्य -
√ गरासिया की स्त्री व पुरुषों के द्वारा
√ बिना किसी वाद्ययंत्र के उछल कूद करते हुए
√ लय व ताल के लिए तालियों का इस्तेमाल
लूर नृत्य -
√ गरासिया जनजाति की लूर गोत्र की महिलाओं के द्वारा मेले व शादी के अवसर
√ घूमर नृत्य का ही एक रूप
मांदल नृत्य -
√ गरासिया महिलाओं के द्वारा
√ गुजराती गरबे की झलक
√ महिलाएं वृत्ताकार घूमती - मांदल वाद्य यंत्र का प्रयोग
वालर नृत्य -
√ गरासिया जाति का घूमर
√ स्त्री व पुरुष अर्धवृत्ताकार रूप में धीमी गति से
√ विवाह, होली व गणगौर के अवसर
√ किसी वाद्य यंत्र का प्रयोग नहीं
मोरिया नृत्य-
√ विवाह के अवसर पर गणपति स्थापना के बाद
√ रात्रि को पुरुषों के द्वारा
जवारा नृत्य -
√ होली दहन के पहले उसके चारों ओर घेरा बनाकर ढोल की आवाज पर स्त्री पुरुषों के द्वारा
√ महिलाएं ज्वारों की बालियां लिए
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स - सांग | इ - इंद्रपरी | सिगार - शिकार | बु - बिछवा | झा - झेला | लेगी - लंहगी
सांग नृत्य -
√ सहरिया जनजाति का युगल नृत्य
√ स्त्री व पुरुष दोनों द्वारा भागीदारी
इंद्रपुरी नृत्य -
रागिनी गीत पर विवाह के अवसर पर
शिकार नृत्य -
√ पुरुषों के द्वारा
√ मुख्य रूप से बारां जिले की किशनगंज तथा शाहबाद तहसील में
√ पुरुष शिकार का नाटक करते हुए चारों और नृत्य करते हैं
बिछवा नृत्य -
√ सहरिया जनजाति की केवल महिलाओं द्वारा
झेला नृत्य -
√ बारां जिले की शाहबाद तहसील में स्त्री व पुरुषों के द्वारा √ फसल की पकाई के समय
लहंगी नृत्य -
√ सहरिया जनजाति के द्वारा
बा - बागड़ियां | इ - इंडोणी | शरबत - शंकरिया | पानी - पणिहारी
सहरिया जनजाति के लोकनृत्य -
ट्रिक- सहरिया इधर सिगार बुझा लेगीस - सांग | इ - इंद्रपरी | सिगार - शिकार | बु - बिछवा | झा - झेला | लेगी - लंहगी
सांग नृत्य -
√ सहरिया जनजाति का युगल नृत्य
√ स्त्री व पुरुष दोनों द्वारा भागीदारी
इंद्रपुरी नृत्य -
रागिनी गीत पर विवाह के अवसर पर
शिकार नृत्य -
√ पुरुषों के द्वारा
√ मुख्य रूप से बारां जिले की किशनगंज तथा शाहबाद तहसील में
√ पुरुष शिकार का नाटक करते हुए चारों और नृत्य करते हैं
बिछवा नृत्य -
√ सहरिया जनजाति की केवल महिलाओं द्वारा
झेला नृत्य -
√ बारां जिले की शाहबाद तहसील में स्त्री व पुरुषों के द्वारा √ फसल की पकाई के समय
लहंगी नृत्य -
√ सहरिया जनजाति के द्वारा
कालबेलिया जाति के लोकनृत्य-
Trick- काली बाई शरबत का पानी लाओबा - बागड़ियां | इ - इंडोणी | शरबत - शंकरिया | पानी - पणिहारी
बागड़िया नृत्य -
√ कालबेलिया स्त्रियां भीख मांगते समय - बागड़िया नृत्य
√ चंग वाद्य यंत्र का प्रयोग
इंडोणी नृत्य -
√ इंडोणी (मटके व सर के मध्य रखा जाने वाला गट्टा) की भांति घेरा बनाकर
√ खंजरी तथा पुंगी वाद्य यंत्र का प्रयोग
शंकरिया नृत्य -
√ पुरुष व स्त्री दोनों द्वारा
√ एक प्रेम कहानी पर आधारित
पणिहारी नृत्य -
√ पणिहारी गीत - युगल नृत्य
√ स्त्रियां सिर पर 5-7 मटके रखकर
√ 2011 में कालबेलिया नृत्य - विश्व धरोहर की सूची में शामिल
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से - सुगनी | मोर - मोर/शारीरिक | का - कठपुतली | बदला लिया - बादलिया
सुगनी नृत्य -
√ पाली जिले के हवाली नामक स्थान पर भिगाना व गोईयां आदिवासियों के द्वारा
√ इत्र का अधिक प्रयोग
मोर / शारीरिक नृत्य -
√ शारीरिक कौशलता का प्रदर्शन
√ मंद गति से रस्सी के ऊपर
कठपुतली नृत्य -
√ नट हाथ में डोरियों का गुच्छा थामकर लोकगीतों पर कठपुतलियों द्वारा
बादलिया नृत्य -
√ बादलिया नृत्य गेरू बचने के व्यापार को प्रदर्शित
माव - मावलिया | होली - होली
मावलिया नृत्य -
√ नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी-देवताओं के गीत गाते हुए पुरुषों के द्वारा
√ ढोलकी व बांसुरी प्रमुख वाद्य यंत्र
होली नृत्य -
√ महिलाओं द्वारा समूह बनाकर एक दूसरे का हाथ पकड़ कर गीत गाते हुए
√ महिलाएं एक दूसरे के कंधे पर चढ़कर पिरामिड
चेरी - चकरी | फूल - फूंदी | धाकड़ - धाकड़
चकरी नृत्य -
√ हाड़ौती क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नृत्य
√ केवल अविवाहित लड़कियां
√ नृत्यांगनाएं अस्सी कली का घाघरा
फूंदी नृत्य -
√ कजली तीज पर केवल महिलाओं के द्वारा
धाकड़ नृत्य -
√ कंजर जाति के द्वारा झालापाव व बीरा के मध्य हुए युद्ध में झालापाव की विजय की खुशी में
नट जाति के लोकनृत्य-
Trick- नट से मोर का बदला लियासे - सुगनी | मोर - मोर/शारीरिक | का - कठपुतली | बदला लिया - बादलिया
सुगनी नृत्य -
√ पाली जिले के हवाली नामक स्थान पर भिगाना व गोईयां आदिवासियों के द्वारा
√ इत्र का अधिक प्रयोग
मोर / शारीरिक नृत्य -
√ शारीरिक कौशलता का प्रदर्शन
√ मंद गति से रस्सी के ऊपर
कठपुतली नृत्य -
√ नट हाथ में डोरियों का गुच्छा थामकर लोकगीतों पर कठपुतलियों द्वारा
बादलिया नृत्य -
√ बादलिया नृत्य गेरू बचने के व्यापार को प्रदर्शित
कथौडी़ जनजाति के लोकनृत्य-
ट्रिक- माव की होली कथामाव - मावलिया | होली - होली
मावलिया नृत्य -
√ नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी-देवताओं के गीत गाते हुए पुरुषों के द्वारा
√ ढोलकी व बांसुरी प्रमुख वाद्य यंत्र
होली नृत्य -
√ महिलाओं द्वारा समूह बनाकर एक दूसरे का हाथ पकड़ कर गीत गाते हुए
√ महिलाएं एक दूसरे के कंधे पर चढ़कर पिरामिड
कंजर जाति के लोकनृत्य-
ट्रिक- कंजर का चेरी फूल धाकड़चेरी - चकरी | फूल - फूंदी | धाकड़ - धाकड़
चकरी नृत्य -
√ हाड़ौती क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नृत्य
√ केवल अविवाहित लड़कियां
√ नृत्यांगनाएं अस्सी कली का घाघरा
फूंदी नृत्य -
√ कजली तीज पर केवल महिलाओं के द्वारा
धाकड़ नृत्य -
√ कंजर जाति के द्वारा झालापाव व बीरा के मध्य हुए युद्ध में झालापाव की विजय की खुशी में
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झूम - झूमर | चरी - चरी
झूमर नृत्य -
√ धार्मिक महोत्सव
√ झूमरा वाद्य यंत्र का प्रयोग
√ झूमर व झूमरा नृत्य दोनों अलग-अलग
√ झूमर नृत्य - श्रृंगार रस | झुमरा नृत्य - वीर रस स
चरी नृत्य -
√ किशनगढ़ (अजमेर)
√ महिलाएं सात चरियां (पीतल के घड़े) सिर पर रखकर
√ प्रसिद्ध नृत्यांगना - किशनगढ़ की फलकुबाई
रात - रतजई | रण बजा - रणबाजा
रणबाजा नृत्य -
√ मेवात क्षेत्र की मेव जाति के द्वारा - युगल रूप में
√ स्त्री व पुरुष
रतजई नृत्य -
√ अलवर की मेव महिलाएं सिर पर ईंडोणी व सिरकी रखकर हाथों में हरी चूड़ियां खनखनाते हुए
√ पुरुष अलगोजा व दमामी (टामक) वाद्य यंत्र का प्रयोग
√ एक नृत्य नाटक एवं धार्मिक नृत्य
√ हर्षोल्लास से शुरू - दुख के साथ समाप्त
√ एक प्रेम कथा का चित्रण
√ बाड़मेर का मछली नृत्य सबसे प्रसिद्ध
गुर्जर जाति के लोकनृत्य-
ट्रिक- गुजरी झूम के चरीझूम - झूमर | चरी - चरी
झूमर नृत्य -
√ धार्मिक महोत्सव
√ झूमरा वाद्य यंत्र का प्रयोग
√ झूमर व झूमरा नृत्य दोनों अलग-अलग
√ झूमर नृत्य - श्रृंगार रस | झुमरा नृत्य - वीर रस स
चरी नृत्य -
√ किशनगढ़ (अजमेर)
√ महिलाएं सात चरियां (पीतल के घड़े) सिर पर रखकर
√ प्रसिद्ध नृत्यांगना - किशनगढ़ की फलकुबाई
मेव जाति के लोकनृत्य
ट्रिक- मेवा रात को रण बजारात - रतजई | रण बजा - रणबाजा
रणबाजा नृत्य -
√ मेवात क्षेत्र की मेव जाति के द्वारा - युगल रूप में
√ स्त्री व पुरुष
रतजई नृत्य -
√ अलवर की मेव महिलाएं सिर पर ईंडोणी व सिरकी रखकर हाथों में हरी चूड़ियां खनखनाते हुए
√ पुरुष अलगोजा व दमामी (टामक) वाद्य यंत्र का प्रयोग
बणजारा जाति के लोकनृत्य-
मछली नृत्य -√ एक नृत्य नाटक एवं धार्मिक नृत्य
√ हर्षोल्लास से शुरू - दुख के साथ समाप्त
√ एक प्रेम कथा का चित्रण
√ बाड़मेर का मछली नृत्य सबसे प्रसिद्ध
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ना - नेजा | रस्सी - रसिया | ला - लांगुरिया
नेजा नृत्य -
√ मीणा स्त्रियों के द्वारा मांगलिक अवसरों पर
रसिया नृत्य -
√ स्त्री-पुरुष रसिया लोकगीतों
लांगुरिया नृत्य -
√ लांगूरिया नृत्य कैला देवी मेले में - लांगुरिया गीत पर
√ नगाडे़, ताशे और बीनतारा वाद्य यंत्र का प्रयोग
√ माली जाति में स्त्री के संतान होने पर कांसे के घड़े (चरा/चरवा) में दीपक रख कर, इसे महिलाएं सिर पर धारण कर नृत्य
मीणा जाति के लोकनृत्य
ट्रिक- मीना रस्सी लाना - नेजा | रस्सी - रसिया | ला - लांगुरिया
नेजा नृत्य -
√ मीणा स्त्रियों के द्वारा मांगलिक अवसरों पर
रसिया नृत्य -
√ स्त्री-पुरुष रसिया लोकगीतों
लांगुरिया नृत्य -
√ लांगूरिया नृत्य कैला देवी मेले में - लांगुरिया गीत पर
√ नगाडे़, ताशे और बीनतारा वाद्य यंत्र का प्रयोग
माली नृत्य के लोकनृत्य
चरवा नृत्य-√ माली जाति में स्त्री के संतान होने पर कांसे के घड़े (चरा/चरवा) में दीपक रख कर, इसे महिलाएं सिर पर धारण कर नृत्य
- भारतीय संविधान ( Indian Constitution ) का निर्माण (Click Here)
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- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम और अंतरिम सरकार Click Here
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- भारतीय संविधान की अनुसूचियां
- संविधान के भाग (Parts of the Constitution)
- विभिन्न वंश / गौत्र और उनकी कुलदेवियां
- कुलदेवी कौन है और विभिन्न गौत्रों की कुलदेवियां
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