आपकी कुलदेवी कौन है - Aapki kuldevi koun Hai
कुलदेवी जो हमारे कुल की अधिष्ठात्री देवी मां होती है। जिस प्रकार एक मां अपनी संतान के हर कष्ट को दूर करने का प्रयास करती है। उसी प्रकार समस्त कुल की मां स्वरूपा नकारात्मक ऊर्जा व संकटों से अपने समस्त कुल की रक्षा करती है।
समय की परिस्थितियों के कारण हमारे परिवार के लोग अपने पैतृक स्थान को छोड़ने पर मजबूर हुए थे। जब हमारे पूर्वज किसी अन्य स्थान पर किसी भी कारण बस गए। तब यह नुकसान हुआ कि, अपने कुल के लोगों से बिछड़ गए। पीढ़ी दर पीढ़ी यह दूरियां बढ़ती गई और हमने अपने रीति-रिवाज, संस्कार आदि सहित अपनी कुलदेवी को भी भूल गए।
इसके अलावा मां सती ने कई अवतार भी लिए, जो कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है। डॉ. सोहनदान चारण ने कल्याण के शक्ति उपासना अंक में मां सती के कई अवतारों को बताया है। इसके अलावा डॉ. रघुनाथ प्रसाद तिवाड़ी ने 'हमारी कुलदेवियां' पुस्तक में करणी माता को मां सती का अवतार होना बताया है।
मारवाड़ी समाज की संस्कृति वैदिक संस्कृति की सबसे पुरानी प्रतिनिधि है। प्राचीन सभ्यता की खुदाई से ज्ञात होता है कि यहां के मूल निवासी मातृ पूजा किया करते थे। मातृ पूजा की यह परंपरा मारवाड़ी समाज में आज भी कायम है और यह मातृ पूजा की परंपरा कुलदेवी पूजा के रूप में विद्यमान है।
जिस प्रकार हमारा शरीर अनेक अंगों से मिलकर बना है, उसी प्रकार भारतीय समाज कई जातियों का समूह है। यह भारतीय जातीय समाज कई गोत्रों में विभक्त होता है। यही गोत्र कुल परंपरा को कहा जाता है।
प्राचीन काल में कुल दो प्रकार के होते थे।
हमने देखा है कि एक ही कुलदेवी का अलग-अलग स्थान पर नाम में परिवर्तन होता है। यह नाम उनके स्थान के आधार पर होते हैं। जैसे समराय माता, गोठ मांगलोद वाली माता, फलौदी माता, गुड़गांव वाली माता।
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