Rajasthan ke Mahal - राजस्थान के प्रमुख महल | Rajasthan Important Palace केवल परीक्षाओं से संबंधित

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Rajasthan ke Mahal - राजस्थान के प्रमुख महल

Hello Friends, इस पोस्ट में हमने प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से सभी महलों को कवर किया है। राजस्थान के महलों के PDF Notes के लिए नीचे लिंक दिया है।

जयपुर के प्रमुख महल -

मुबारक महल -

~ मुबारक महल जयपुर के सभी महलों में सबसे नया महल है। इसका निर्माण सवाई माधोसिंह द्वितीय ने 1900 ई. में अंग्रेज मेहमानों के स्वागत व ठहरने के लिए करवाया था।
~ यह महल चूने और पत्थर से बना है। इस महल में मुगल, यूरोपीय तथा राजपूत स्थापत्य कला का मिश्रण मिलता है।
~ यह महल सवाई मानसिंह द्वितीय तक विद्वानों की चर्चाओं का केंद्र रहा था और वर्तमान में शाही पुस्तकालय के रूप में शोभा बढ़ा रहा हैं।

हवामहल-

~ हवामहल का निर्माण वर्ष 1799 ईस्वी में सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था, जो कि राधा एवं कृष्ण को समर्पित है।
~ इसके वास्तुकार लालचंद उस्ता थे। कर्नल जेम्स टॉड ने इस महल को श्री कृष्ण का मुकुट कहा है।
~ इस महल की ऊंचाई 88 फीट, इसमें 365 जाली-झरोखे व 953 खिड़कियां है, इस कारण इसे एयर दुर्ग भी कहते हैं।
~ हवा महल की पांच मंजिलें हैं, जिसकी ट्रिक है- शर विशु हवा यानी शरद मंदिर, रतन मंदिर, विचित्र मंदिर, सूर्य/प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर
~ यह महल बलुआ पत्थर और चूने से बना है। वर्ष 1983 से इस महल के पिछले भाग में राज्य सरकार के द्वारा हवा महल म्यूजियम का संचालन किया जा रहा है।
~ इस महल की भव्यता को देखकर एडमिन आलौल्ड ने कहा था कि - अलादीन का जिन भी इससे सुंदर निवास स्थान नहीं बना सकता
 
हवामहल

जयपुर का जलमहल-

~ जयपुर के जल महल का निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था। जयसिंह ने गर्भावती नदी पर बांध बनाकर मानसागर तालाब में महल का निर्माण करवाया था।
~ यह दो मंजिला और वर्गाकार रूप में निर्मित है। जल महल के पास आमेर की घाटी के नीचे फूलों की घाटी और कनक वृंदावन मंदिर स्थित है। जिनका निर्माण भी सवाई जयसिंह ने करवाया था।

चंद्रमहल / राज महल (सिटी पैलेस)-

~ राजमहल का निर्माण सवाई जयसिंह के आदेश पर जयपुर के वास्तुकार विद्याधर चक्रवर्ती ने करवाया था।
~ यह महल सात मंजिला है, जिसकी सबसे नीचे की मंजिल चंद्रमहल, दूसरी मंजिल सुख निवास, तीसरी मंजिल रंग मंदिर, चौथी मंजिल शोभा निवास, पांचवी मंजिल छवि निवास, छठी मंजिल श्रीनिवास और सातवीं मंजिल मुकुट मंदिर है।
~ राज महल में ही विश्व के सबसे बड़े चांदी के 2 पात्र रखे हैं। यह जयपुर राजपरिवार का निवास स्थान है।

राज महल

एक जैसे नौ महल-

~ जयपुर के सवाई माधोसिंह द्वितीय ने अपनी नौ पासवानों के लिए नाहरगढ़ दुर्ग में एक जैसे नौ महलों का निर्माण करवाया था। इन महलों के नाम सूरज प्रकाश, खुशहाल प्रकाश, जवाहर प्रकाश, ललित प्रकाश, चंद्र प्रकाश, आनंद प्रकाश, लक्ष्मी प्रकाश, फूल प्रकाश और बसंत प्रकाश है।

सामोद महल-

~ सामोद महल का निर्माण राजा बिहारीदास ने करवाया था। यह महल जयपुर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
~ इस महल के शीश महल में कांच का सुंदर कार्य किया गया है, जिसका निर्माण शिवसिंह ने करवाया था।
~ सामोद महल के सुल्तान महल में शिकार के दृश्य दिखाए गए हैं।

जयपुर के दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास -

~ इन दोनों भवनों का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया था।
~ दीवान-ए-आम राजा का आम दरबार होता था, जहां पर आमजन मिल सकते थे। यह भवन 40 स्तम्भों से बनाया गया था।
~ दीवान-ए-खास में राजा अपने सामंतों और प्रमुख लोगों से मिलता था। इस भवन को जय मंदिर भी कहते हैं।
~ दीवान-ए-खास में खुदाई और कांच का सुंदर कार्य किया गया है।

मोती डूंगरी / तख्तेशाही महल -

~ मोती डूंगरी महल मोती डूंगरी पहाड़ी पर है। इसका निर्माण सवाई माधोसिंह ने करवाया था। जबकि इसका पुनर्निर्माण जयपुर के अंतिम शासक सवाई मानसिंह की तीसरी पत्नी गायत्री देवी ने करवाया था।
~ इन महलों की तलहटी में मोती डूंगरी गणेश मंदिर और प्रसिद्ध बिड़ला मंदिर स्थित है।

सिसोदिया रानी का महल-

~ इस महल का निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने वर्ष 1728 में अपनी पत्नी सिसोदिया रानी चंद्रकुंवरी के लिए करवाया था। 
~ इसी महल में रानी चंद्रकुंवरी ने माधोसिंह प्रथम को जन्म दिया था।

अल्बर्ट हॉल-

~ अल्बर्ट हॉल जयपुर शहर के हृदय यानी रामनिवास बाग के बीच बना है, जो भारतीय व फारसी शैली में बना है।
~ इस भवन की आधारशिला फरवरी 1876 को रखी गई और फरवरी 1887 को भारतीय गवर्नर जनरल के एजेंट एडवर्ड ब्रेडफोर्ड ने इसका उद्घाटन किया था। इस भवन का नक्शा सर स्विंटन जैकब ने तैयार किया था।

जोधपुर के प्रमुख महल -

उम्मेद पैलेस -

~ इस महल का निर्माण जोधपुर के शासक महाराणा उम्मेद सिंह ने करवाया था, जो 1928 से लेकर 1940 के बीच बनकर पूरा हुआ।
~ यह महल छीतर पत्थर से बना होने के कारण छीतर पैलेस भी कहलाता है।
~ इस महल का निर्माण जोधपुर में भयंकर अकाल पड़ने पर जनता को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करवाया गया था।
~ वर्तमान समय में इस महल के एक भाग में घड़ियों का विशाल संग्रहालय व दूसरे भाग में फाइव स्टार होटल व तीसरे भाग में जोधपुर राज परिवार निवास करता‌ है।

उम्मेद पैलेस

जसवंत थड़ा -

~ इस भवन का निर्माण महाराजा सरदार सिंह ने महाराज जसवंत सिंह की याद में 1906 में करवाया था।
~ इस भवन को मारवाड़ तथा राजस्थान का ताजमहल भी कहते हैं।

एक थंम्भा महल -

~ इस महल का निर्माण महाराजा अजीतसिंह ने वर्ष 1715 में मंडोर में करवाया था।
~ इस भवन के निर्माण में भूरे रंग का घाटू पत्थर का उपयोग किया गया है। इस महल को प्रहरी मीनार भी कहते हैं।

राइका बाग पैलेस -

~ इस महल का निर्माण महाराजा जसवंत सिंह की पत्नी हाड़ी रानी ने 1663 में करवाया था।
~ वर्ष 1883 में स्वामी दयानंद सरस्वती के जोधपुर आगमन पर राजा उनके उपदेश इसी महल में सुनता था।

मोती महल -

~ मोती महल जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित है। इसका निर्माण महाराजा सूरसिंह ने करवाया था।
~ इस महल की छतों व दीवारों पर सोने की पालिश का काम महाराजा तख्त सिंह ने करवाया था।

फूल महल -

~ यह महल भी जोधपुर के किले में स्थित है। इसका निर्माण महाराजा अभयसिंह ने करवाया था।
~ इस महल के पत्थरों पर बारीक खुदाई और कोराई का बेहतरीन काम हुआ है।

बिजोलाई के महल -

~ इन महलों का निर्माण तख्त सिंह ने कायलाना की पहाड़ियों पर करवाया था।
~ महाराजा विजयसिंह के काल से इन्हें बिजोलाई के महल कहा जाता है।

उदयपुर के प्रमुख महल -

जगमंदिर पैलेस -

~ इस महल का निर्माण महाराणा कर्णसिंह ने शुरू करवाया जबकि इसे महाराणा जगतसिंह प्रथम ने 1651 में पूर्ण करवाया।
~ यह महल पिछोला झील के मध्य में एक टापू पर स्थित है।
~ इस महल में जहांगीर के पुत्र शहजादा खुर्रम ने बगावत के समय और 1857 की क्रांति के समय अंग्रेजों ने शरण ली थी।

उदयपुर का राजमहल -

~ इस महल का निर्माण राणा उदयसिंह ने करवाया था,जो कि पिछोला झील के किनारे बना हुआ है।
~ इस महल को इतिहासकार फर्ग्यूसन ने राजस्थान का विंडसर कहा है।
~ वर्तमान समय में राज्य सरकार यहां पर एक संग्रहालय का संचालन कर रही है।

उदयपुर का राजमहल

जगनिवास महल (लेक पैलेस) -

~ यह महल भी पिछोला झील के मध्य में स्थित है, जिसका निर्माण महाराजा जगत सिंह ने 1746 में करवाया था। कहा जाता है कि शाहज़हां को ताजमहल बनाने की प्रेरणा यहीं से मिली थी।

सज्जनगढ़ पैलेस -

~ इस महल का निर्माण महाराणा सज्जनसिंह ने शुरू करवाया जबकि महाराणा भुपालसिंह ने पूर्ण करवाया था। इन महलों को उदयपुर के मुकुटमणि एवं वाणी विलास का जाता है।

टोंक की सुनहरी कोठी -

~ इस भवन की पहली मंजिल का निर्माण नवाब वजीउद्दौला ने तथा दूसरी मंजिल का निर्माण नवाब मोहम्मद इब्राहिम अली खान ने करवाया। इस भवन का पहले नाम जरनिगार रखा गया था।

टोंक का मुबारक महल -

~ यह महल सुनहरी कोठी के दायरे में है, जहां बकरा ईद के समय ऊंट की कुर्बानी दी जाती थी। इस महल में ऊंट की कुर्बानी 1817 में टोंक के पहले नवाब अमीरूदौला ने शुरू की थी।

कोटा में अबली मीणी का महल -

~ इसका निर्माण कोटा के राव मुकुंदसिंह ने अपनी पासवान अबली मीणी के लिए करवाया था।
~ इस महल को इतिहासकार जेम्स टॉड ने राजस्थान का दूसरा तथा छोटा ताजमहल कहा जाता है।

अबली मीणी का महल

कोटा का हवामहल -

~ कोटा के दुर्ग में स्थित इस महल का निर्माण महाराज रामसिंह द्वितीय ने करवाया था।

जैसलमेर का बादल निवास महल -

~ इस महल का निर्माण 1884 में सिलावटों द्वारा किया गया, जिसे तत्कालीन शासक महारावल बेरीवाल सिंह को भेंट कर दिया था। इस महल की नीचे की चार मंजिल वर्गाकार तथा पांचवी मंजिल गुम्बदाकार है।

झुंझुनू का खेतड़ी महल -

~ इस खेतड़ी महल का निर्माण महाराजा भोपाल सिंह ने ग्रीष्मकालीन विश्राम हेतु करवाया था।
~ इस महल में लखनऊ जैसी भूल-भुलैया तथा जयपुर के हवामहल की झलक देखने को मिलती है।
~ इसे शेखावाटी का हवामहल भी कहते हैं।
~ इस महल में महाराजा अजीतसिंह के समय 1889 में स्वामी विवेकानंद रूके थे।

खेतड़ी महल

अलवर का सरिस्का पैलेस -

~ सरिस्का पैलेस का निर्माण अलवर के महाराजा जयसिंह ने ड्यूक आफ एडिनबर्ग की यात्रा के दौरान ठहरने के लिए करवाया था।
~ यह महल सरिस्का अभयारण्य में स्थित है।

अलवर का विनय विलास महल -

~ इस महल का निर्माण अलवर महाराजा विनयसिंह ने अपने परिवार के निवास के लिए करवाया था।
~ इस महल में सबसे अधिक गणिकाओं (वेश्याओं) के चित्र लगे हैं।
~ वर्तमान में इस महल के एक परिसर में टाइगर डेस होटल संचालित किया जा रहा है।

विनय विलास महल

अलवर का सिलीसेढ़ महल -

~ यह महल सिलीसेढ़ झील के किनारे पर स्थित है।
~ इस छ मंजिला महल का निर्माण महाराजा विनयसिंह ने 1844 में रानी शीला के लिए करवाया था।
~ सिलीसेढ़ झील को राजस्थान का नंदन-कानन भी कहते हैं।

अलवर का सिटी पैलेस -

~ इसका निर्माण महाराजा विनयसिंह ने 1776 में करवाया था। यह मूल रूप से भिन्न-भिन्न इमारतों का समूह है, जो मुगल व राजपूत स्थापत्य शैली का मिश्रण है।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग में रानी पद्मिनी का महल -

~ यह महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग में आकर्षण का दूसरा बड़ा केंद्र है, जो एक जलाशय में अवस्थित है।

बीकानेर का लालगढ़ महल -

~ इस महल का निर्माण महाराजा गंगासिंह ने अपने पिता लालसिंह की स्मृति में करवाया था।
~ इस महल में करीब 100 कमरे है।

डूंगरपुर का जूनागढ़ महल -

~ जूनागढ़ महल का निर्माण रावल वीरसिंह देवल ने विक्रम संवत 1339 को धनमाता पहाड़ी की ढलान पर करवाया था, जो कि सात मंजिला महल है।

अजमेर का रूठी रानी का महल -

~ रूठी रानी का महल अजमेर में आना सागर झील के किनारे पर है। जहांगीर की पत्नी नूरजहां रूठने के बाद यहां पर रही थी। नूरजहां की मां अस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र निकालने की विधि का अविष्कार यही पर किया था।
~ रूठी रानी का एक अन्य महल मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) में भी है। जिसका निर्माण जोधपुर के शासक राव मालदेव ने अपनी रूठी रानी उमादे के लिए करवाया था, जो कि अजमेर के तारागढ़ दुर्ग में रही थी। मालदेव द्वारा बनाए गए महल में उमादे एक दिन भी नहीं रही थी।

बूंदी के महल -

~ बूंदी के महल बूंदी के दुर्ग में स्थित है। इन महलों के नाम इनके निर्माताओं के नाम से प्रसिद्ध है। जैसे छत्र महल, अनिरुद्ध महल‌, रतन महल ,बादल महल और फूल महल

झालावाड़ का काष्ठ प्रासाद (रैन बसेरा) -

~ देहरादून के वन शोध संस्थान द्वारा लकड़ी के विश्राम गृह का निर्माण करवाकर 1936 में लखनऊ की एक उद्योग प्रदर्शनी में रखा गया था। जहां से झालावाड़ के तत्कालीन महाराजा राजेंद्र सिंह ने खरीदकर झालावाड़ में किशन सागर झील के किनारे स्थापित करवाया था।

भरतपुर में डीग के जलमहल -

~ डीग महल का निर्माण 1725 में राजा बदनसिंह ने करवाया था। इसके बाद डीग जल महल का निर्माण राजा सूरजमल ने 1755 सें 1765 के बीच करवाया था। डीग के महलों में गोपाल महल सबसे बड़ा है।
~ डीग को जलमहलों की रानी भी कहा जाता है।

डीग के जलमहल

राजस्थान के अन्य महल -

~ पंचमहला, कदमी महल, लक्ष्मी विलास महल, सौभाग्य|सुहाग मंदिर, यश मंदिर, शीश महल, सुख मंदिर, नारायण निवास - जयपुर
~ झाली रानी का महल - कुंभलगढ़ दुर्ग
~ सुख महल - बूंदी
~ हवा बंगला - अलवर में तिजारा की पहाड़ी
~ स्वरूप निवास एवं केसर विलास - सिरोही
~ बनेड़ा महल - भीलवाड़ा के बनेड़ा दुर्ग में
~ फतेह प्रकाश महल, राणा कुंभ महल, खातर महल, गोरा-बादल महल - चित्तौड़गढ़ में
~ एक थंबिया महल, बादल महल, उदय विलास महल - डूंगरपुर
~ विजय मंदिर महल - अलवर
~ अभेड़ा महल (हाड़ौती का हवामहल), जगमोहन महल, रावठा महल - कोटा
~ फूल महल, खुश महल, गोल महल, धोला महल, रानी हाड़ी का महल - उदयपुर
~ सूरज महल, नंद भवन, ढीपोड़ी महल - भरतपुर
मान महल, सुजान महल - अजमेर
~ तुलाती महल - जोधपुर
~ सुंदर जोगी महल, सुपारी महल, पुष्पक महल - रणथंभोर
~ देवीगढ़ पैलेस - राजसमंद
~ रेशमा महल - सीकर
~ जवाहर महल - जैसलमेर

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