Rajasthan ke Mandir - राजस्थान के प्रमुख मंदिर
इस Post में हम राजस्थान के प्रमुख मंदिरों को जिलेवार देखते हैं। राजस्थान के मंदिरों पर यह दूसरी पोस्ट है, पहली पोस्ट की लिंक आपको नीचे दी हुई है।
यह मंदिर अलवर के सरिस्का में है। उज्जैन के राजा भर्तृहरि ने अपने अंतिम दिनों में संन्यास ग्रहण कर सरिस्का को अपनी तपोस्थली बनाया था। यहीं पर भर्तृहरि जी द्वारा समाधि लेने के बाद उन्हें लोक देवता के रूप में पूजा जाने लगा। यहां लगने वाले भर्तृहरि मेलें को कनकटे साधुओं का कुंभ कहा जाता है।
~ पांडुपोल हनुमान जी का मंदिर -
अलवर के पांडुपोल में लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर है। मान्यता है कि पांडवों के अज्ञातवास के समय कौरव सेना ने पांडवों को यहां पर घेर लिया था, तब भीम ने पहाड़ में गदा मारकर अपना रास्ता निकाला था।~ नीलकंठ महादेव मंदिर -
अलवर जिले में नीलकंठ महादेव के मंदिर का निर्माण गुर्जर-प्रतिहार राजा अजयपाल ने करवाया था। इस मंदिर में भी नृत्य करते गणेश जी की मूर्ति है।~ सोमनाथ मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण अलवर के भानगढ़ में आमेर राजा मानसिंह के छोटे भाई माधोसिंह ने किया था।~ बूढ़े जगन्नाथ जी का मंदिर
यह मंदिर अलवर शहर के रूपवास स्थान पर है। इस मंदिर में उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी की तरह रथ यात्रा प्रति वर्ष बढलिया नवमी को शुरु होती है।Watch YouTube Video - CLICK HERE
चुरू जिले के मंदिर -
~ सालासर हनुमान मंदिर -
चुरू के आसोटा गांव में मोहनदास नामक किसान को हनुमान जी की मूर्ति खेत में मिली थी। इसे सालासर नामक स्थान पर स्थापित कर मंदिर का निर्माण किया गया। इस मंदिर में दाढ़ी-मूंछ वाले हनुमान जी की केवल शीश की पूजा होती है।~ तिरुपति बालाजी मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण सुजानगढ़ में वेंकटेश फाउंडेशन ट्रस्ट के सोहनलाल जानोदिया ने करवाया था। इस मंदिर के द्वारा उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मिलन की नयनाभिराम झांकी प्रस्तुत की जाती है।~ गोगा जी का मंदिर -
यह मंदिर चुरु जिले के ददरेवा स्थान पर है। इस स्थान पर गोगाजी का शीश गिरा था, इसलिए इसे शीशमेडी भी कहा जाता है।डूंगरपुर जिले के मंदिर -
~ बेणेश्वर महादेव मंदिर -
यह मंदिर डूंगरपुर जिले के नवाटपुरा गांव के पास सोम, माही व जाखम नदियों के संगम पर है। यहां खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है। यहां पर प्रतिवर्ष माघ शुक्ल एकादशी से माघ शुक्ल पूर्णिमा तक विशाल मेला लगता है। इस मेले को भीलों का कुम्भ, आदिवासियों का कुम्भ, वागड़ का कुम्भ तथा वागड़ का पुष्कर भी कहा जाता है।~ देव सोमनाथ का मंदिर -
यह प्राचीन शिव मंदिर डूंगरपुर जिले में सोम नदी के किनारे हैं।~ गवरी बाई का मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण डूंगरपुर में शिवसिंह करवाया था। गवरी भाई को वागड़ की मीरा कहा जाता है।~ विजयराज राजेश्वर मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण डूंगरपुर के महारावल उदयसिंह द्वितीय की रानी उम्मेद कंवर ने गैव सागर झील के किनारे करवाया था।~ शिव ज्ञानेश्वर शिवालय -
इस शिवालय का निर्माण महारावल शिवसिंह ने गैव सागर झील के किनारे स्थित उदयविलास महल में अपनी माता ज्ञान कुंवर की याद में करवाया था।~ हरि मंदिर -
यह मंदिर डूंगरपुर के साबला में श्री कृष्ण जी का मंदिर है, जो संत मावजी को समर्पित है।~ श्रीनाथ मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण डूंगरपुर के महारावल पुंजराज ने करवाया था। इस मंदिर में श्री गोवर्धननाथ जी और श्री राधिका जी की आदमकद प्रतिमा स्थापित है।जोधपुर जिले के मंदिर -
~ महामंदिर मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण जोधपुर के महाराजा मानसिंह राठौड़ ने करवाया था। 84 खम्भों पर निर्मित यह मंदिर नाथ संप्रदाय का प्रमुख तीर्थस्थल एवं प्रमुख गद्दी है। इस मंदिर में जालंधर नाथ की प्रतिमा स्थापित है।~ गंगश्याम मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण जोधपुर में राव गंगा ने करवाया था। इस मंदिर में लगी गंगाश्याम जी की मूर्ति गांगा को सिरोही की पद्मावती से विवाह करने पर दहेज में मिली थी।~ कुंज बिहारी मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण जोधपुर में महाराज विजयसिंह की पासवान गुलाब राय ने करवाया था।~ रावण मंदिर -
जोधपुर में बना रावण का यह मंदिर उत्तरी भारत का पहला रावण मंदिर है। रावण की पत्नी मंदोदरी जोधपुर के मंडोर की थी। मंडोर में दशहरा पर्व शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है।~ अधर शिला रामदेव जी का मंदिर -
यह मंदिर जोधपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में रामदेव जी के पगल्ये पूजे जाते हैं। इस मंदिर का स्तंभ जमीन से आधा इंच ऊपर उठा हुआ है, जिससे यह प्रतीत होता है कि मंदिर झूल रहा है।~ 33 करोड़ देवी-देवताओं के मंदिर -
यह मंदिर जोधपुर के मंडोर में स्थित है। इस मंदिर को Hall of Heroes और वीरों की साल कहा जाता है।~ रणछोड़ जी का मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण जोधपुर में महाराजा जसवंत सिंह की पत्नी जाचेड़ी राजकंवर ने करवाया था।~ अचलदास महादेव का मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण जोधपुर में राव गांगा की रानी पद्मावती ने करवाया था। इस मंदिर के समीप बनी बावड़ी को गंगा बावड़ी कहा जाता है।~ तीजा मांगी का मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण जोधपुर में मारवाड़ के महाराजा मानसिंह की रानी प्रताप कुंवरी ने करवाया था।~ ज्वालामुखी मंदिर -
यह मंदिर जोधपुर दुर्ग की पचेटिया पहाड़ी की चट्टान पर महिषासुर मर्दिनी का मंदिर है। इसे ज्वालामुखी मंदिर भी कहा जाता है।सिरोही जिले के मंदिर -
~ अचलेश्वर महादेव मंदिर -
यह मंदिर सिरोही के आबू में है। इस मंदिर में शिवलिंग की जगह एक गड्डा है, जिसे ब्रह्मखड्ढ कहा जाता है।~ सारणेश्वर मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण सिरोही में महाराव दुर्जनसाल ने करवाया था। सारणेश्वर महादेव देवड़ा चौहानों के कुल देवता है।~ वशिष्ठ मंदिर -
यह मंदिर सिरोही के बसंतगढ़ दुर्ग में स्थित है। यहीं पर उनके अग्निकुंड के अवशेष मिलते हैं।~ कुसुमा का शिव मंदिर -
यह मंदिर सिरोही के कुसुमा पर्वत पर बना है। यहां पर कुत्स ऋषि का आश्रम भी है।~ कुंवारी कन्या का मंदिर -
यह मंदिर सिरोही के दिलवाड़ा में पर्वत की तलहटी में बना है। इस मंदिर में किसी देवी या देवता की मूर्ति की जगह दो पाषाण मूर्तियां स्थापित है, जिसमें से एक युवक की मूर्ति के हाथ में विष का प्याला है जबकि दुसरी मूर्ति एक युवती की है। इस मंदिर को रसिया बालम का मंदिर कहा जाता है।पाली जिले के मंदिर -
~ लांबा का महादेव मंदिर -
यह मंदिर पाली जिले के लांबा स्थान पर स्थित है। इस मंदिर की निर्माण शैली जोधपुर के ओसियां के हरिहर मंदिर के समान है।~ निंबो का नाथ मंदिर -
यह नाथ महादेव मंदिर पाली जिले में स्थित है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर में पांडवों की माता कुंती शिव पूजा किया करती थी।~ परशुराम गुफा -
यह गुफा मंदिर पाली के सादड़ी में अरावली पर्वत माला में स्थित है। यहां पर परशुराम भगवान शिव की पूजा किया करते थे।बीकानेर जिले के मंदिर -
~ कपिल मुनि का मंदिर -
बीकानेर के कोलायत में सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का तीर्थ स्थल है। यहां बने सरोवर के किनारे 52 घाट और पांच मंदिर है। यहां प्रतिवर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है, जो जांगल प्रदेश का सबसे बड़ा मेला है।~ हेरंब गणपति मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के शासक अनुपसिंह ने करवाया था। इस मंदिर में गणेश जी मूषक पर सवार न होकर सिंह पर सवार है।~ रतन बिहारी जी का मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण बीकानेर में महाराजा रतन सिंह ने करवाया था।~ कोड़मदेसर के भेरुजी का मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के संस्थापक राव बीका ने करवाया था।~ लक्ष्मी नारायण जी का मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के शासक लूणकरण ने करवाया था।झालावाड़ के मंदिर -
~ झालरापाटन का सूर्य मंदिर -
यह मंदिर झालरापाटन शहर में खजुराहो शैली में बना है। इस मंदिर को सात सहेलियों का मंदिर, पद्मनाथ मंदिर और चारभुजा मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में सूर्य की मूर्ति घुटनों तक जूते पहने हुए हैं।~ शीतलेश्वर महादेव मंदिर -
यह मंदिर झालावाड़ के झालरापाटन में चंद्रभागा नदी के तट पर महामारू शैली में बना है। यह मंदिर राजस्थान में तिथि अंकित मंदिरों में सबसे प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में अर्द्धनारीश्वर प्रतिमा स्थापित है।
दौसा के मंदिर -
~ मेहंदीपुर बालाजी मंदिर -
यह मंदिर दौसा जिले में स्थित है। इस मंदिर में बनी मूर्ति पर्वत का ही भाग है। इस मंदिर में बालाजी के अलावा प्रेतराज सरकार व भैरवजी का मंदिर भी है।~ आभानेरी मंदिर -
दौसा जिले में बना यह मंदिर हर्षद माता का मंदिर है, जो पंचायतन में बना है। मूल रूप से यह मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर था।झुंझुनू जिले के मंदिर -
~ लोहार्गल मंदिर -
यह मंदिर झुंझुनू जिले के लोहार्गल स्थान पर मालकेतु पर्वत की घाटी में है। इस मंदिर में की जाने वाली परिक्रमा मालखेत जी की परिक्रमा कहलाती है।~ रघुनाथ जी का मंदिर -
यह मंदिर खेतड़ी का सबसे विशाल मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण राजा बख्तावर की पत्नी चुंडावती में करवाया था। इस मंदिर में भगवान श्री राम व लक्ष्मण जी की मूर्तियां मूछों वाली है।जालौर जिले के मंदिर -
~ सिरे मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण मारवाड़ के महाराजा मानसिंह राठौड़ ने करवाया था। यह मंदिर नाथ संप्रदाय के जालंधर नाथ की तपोभूमि है। इसलिए जालौर को राजस्थान का जालंधर भी कहा जाता है।~ वराह मंदिर -
जालौर के भीनमाल में बना यह मंदिर वराह श्याम जी का मंदिर है।~ आपेश्वर महादेव मंदिर -
यह मंदिर जालौर के रामसीन में बना है। प्राचीन समय में इस मंदिर को अपराजितेश्वर शिव मंदिर कहा जाता था, जो आज आपेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।नागौर जिले के मंदिर -
~ चारभुजा नाथ मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण मीराबाई के दादाजी राव दूदा ने मेड़ता सिटी ने करवाया था। मीराबाई के इस विशाल मंदिर को चारभुजा नाथ मंदिर कहा जाता है।~ गुसाईं मंदिर -
यह मंदिर नागौर के जुंजाला में भगवान विष्णु के वामन अवतार का मंदिर है। मान्यता के अनुसार यहां पर बाबा रामदेव जी के गुरु भाई गुसाईं जी रुके थे। इसलिए इस मंदिर को गुसाई जी का मंदिर भी कहा जाता है।~ बंसी वाले का मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण राणा श्रीसगर ने भगवान श्री कृष्ण के मंदिर के रूप में करवाया था। इसे मुरलीधर का मंदिर कहा जाता है।~ जसनगर का शिव मंदिर -
यह मंदिर नागौर के जसनगर में बना है। प्राचीन काल में जसनगर को केकिंद या किष्किन्धा कहा जाता था।टोंक जिले के मंदिर -
~ कल्याण जी का मंदिर -
यह मंदिर टोंक के डिग्गी में मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह के काल में बना था। कल्याण जी की पूजा विशेष रूप से कुष्ठ रोग के निवारण के लिए की जाती है। मुस्लिम इन्हें कलहण पीर के नाम से पूजते हैं।~ देवनारायण जी का मंदिर -
यह मंदिर टोंक के जोधपुरिया में गुर्जरों के आराध्य देव देवनारायण जी का मंदिर है।बूंदी जिले के मंदिर -
~ कंवलेश्वर / कपालीश्वर महादेव मंदिर -
इस मंदिर का निर्माण बूंदी के इंद्रगढ़ में चाखण नदी के किनारे रणथंभोर के चौहान शासक हम्मीर के पिता जैत्रसिंह ने करवाया था।~ केशवराय महादेव मंदिर -
यह मंदिर बूंदी के केशवराय पाटन में चंबल नदी के किनारे बना है।राजस्थान के प्रमुख मंदिर (part-1) - CLICK HERE
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