Ranthambore Durg - रणथंभोर दुर्ग | Rajasthan ke Durg

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रणथंभोर दुर्ग - Ranthambore Durg

~ रणथंभोर का वास्तविक नाम रंत:पुर था। रण नीचे की पहाड़ी का नाम जबकि थंभ किले की पहाड़ी का नाम है, इसी से रणथंभोर नाम पड़ा है। यह दुर्ग सवाई माधोपुर जिले में अवस्थित है।

Ranthambore Durg

~ रणथंबोर दुर्ग अंडाकार आकृति में साथ पहाड़ियों के मध्य स्थित है। इन पहाड़ियों को किले की दीवार कहते हैं।
 ~ कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण राजा रंतिदेव ने जबकि कुछ का मानना है कि 944 ई. में सपादलक्ष के चौहान राजा रणथान देव ने करवाया था। लेकिन सबसे मान्य तथ्य यह है कि इस दुर्ग का निर्माण आठवीं शताब्दी में अजमेर के चौहान शासक राजा जयंत ने करवाया था।
~ पृथ्वीराज तृतीय के पुत्र गोविंद राज ने यहां पर चौहान वंश की नींव डाली थी।
~ अबुल फजल ने इस दुर्ग को पहाड़ियों के बीच स्थित होने के कारण कहा था कि "अन्य दुर्ग तो नंगे है, लेकिन यह दुर्ग बख्तरबंद है।"
~ इस दुर्ग को 'दुर्गाधिराज' और 'हम्मीर की आन-बान का प्रतीक' कहा जाता है।

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हम्मीर देव

~ इस दुर्ग ने दिल्ली, मालवा और मेवाड़ के समीप होने के कारण बार-बार आक्रमणों का सामना किया है।
~ इस दुर्ग पर दिल्ली के सुल्तान जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने 1291-92 में दो बार आक्रमण किया, लेकिन असफल रहने पर कहा की "ऐसे 10 किलों को मैं मुसलमान के मुंछ के एक बाल के बराबर भी नहीं समझता"

रणथंभोर दुर्ग के प्रवेश द्वार -

~ नौलखा द्वार (मुख्य दरवाजा), तोरण द्वार ( तीन दरवाजों का समूह, अंधेरी दरवाजा, त्रिपोलिया दरवाजा), हाथीपोल, गणेशपोल और सूरजपोल

रणथंभोर दुर्ग का साका -

~ इतिहासकारों के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी का मंगोल सेनापति मीर मोहम्मद शाह अलाउद्दीन की मराठा बेगम चिमना (कामरु) से प्रेम करने लगा। दोनों ने वहां से भागकर हम्मीर देव के पास शरण ले ली। अलाउद्दीन खिलजी द्वारा हम्मीर देव को इन दोनों को सौंपने को कहा गया, लेकिन हम्मीर देव ने शरण में आए मोहम्मद शाह व चिमना को वापस सौंपने से मना कर दिया। इसके लिए हम्मीर देव के बारे में कहा जाता है -
"सिंह सुवन, सत्पुरुष वचन कदली फले इक बार।
तिरिया तेल, हम्मीर हठ, चढै न दूजी बार ।।"

अलाउद्दीन खिलजी

~ इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने 1300 ई. में रणथंभोर पर घेरा डाल दिया। लगभग 1 वर्ष तक घेरा डालने के बाद सफलता नहीं मिलने पर हम्मीर देव के दो सेनापतियों रणमल व रतिपाल को बूंदी परगने का लालच देकर खाद्य सामग्री में हड्डियां डलवा दी। इसके बाद 11 जुलाई 1301 को हम्मीरदेव चौहान की अगुवाई में राजपूत सैनिकों ने केसरिया तथा रानी रंगदेवी की अगुवाई में स्त्रियों ने जल जौहर किया था। यह राजस्थान का प्रथम जल जौहर था। हम्मीर देव की पुत्री देवलदे ने पद्मतला तालाब में जल जौहर किया था।
~ रणथंभोर पर अलाउद्दीन खिलजी का अधिकार होने पर अमीर खुसरो ने कहा था कि "कुफ्र का गढ़ इस्लाम का घर हो गया।" 

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रणथंभोर दुर्ग के दर्शनीय स्थल -

~ जोगी महल, सुपारी महल, हम्मीर महल, बादल महल, जोरा-भौंरा महल (अनाज के गोदाम), जैतसिंह की छतरी (न्याय की छतरी), अधूरी छतरी, हम्मीर कचहरी, त्रिनेत्र गणेश मंदिर, शिव मंदिर, पीर सदरूद्दीन की दरगाह, पद्मतला तालाब
~ राजस्थान का रणथंभोर दुर्ग हम्मीर देव के शरणागतों के प्रति रखे दृष्टिकोण के लिए विश्व-प्रसिद्ध है।

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