चित्तौड़गढ़ का किला - Chittorgarh Fort | Chittorgarh Durg आसान भाषा में

Earth Gyan Hindi
0

चित्तौड़गढ़ का किला - Chittorgarh Fort

जिण अजोड़ राखी जुड़यां मेवाड़ा सू मरोड़।
किलां मोड़ बिलमा तणू चित तोड़ण चित्तौड़ ।।

राजस्थान के नए जिले 2023 - CLICK HERE

~ चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण वीर विनोद पुस्तक के रचनाकार श्यामलदास के अनुसार मौर्य वंश के शासक चित्रागं (चित्रांगद) ने गंभीरी तथा बेडच नदियों के संगम पर मेसा के पठार पर करवाया था।
~ चित्रांग मौर्य ने इसका नाम चित्रकोट रचा था, उसी से चित्तौड़ बना है।
~ इस किले की लंबाई 8 किलोमीटर तथा चौड़ाई 2 किलोमीटर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से विशाल होने के कारण इसे महादुर्ग कहते हैं।
~ यह अपनी वीरता, त्याग एवं बलिदान के कारण राजस्थान का गौरव भी कहलाता है।
~ यह किला मालवा और गुजरात जाने के मार्ग पर अवस्थित होने के कारण इसे 'मालवा का प्रवेश द्वार' व 'राजस्थान का दक्षिण प्रवेश द्वार' कहते हैं।
~ चित्तौड़ का किला राजस्थान का सबसे बड़ा आवासीय किला (लिविंग फोर्ट) है, जो व्हेल मछली के आकार का है।
~ यह राजस्थान का एकमात्र दुर्ग है, जिसमें खेती की जाती है। इस किले पर पहला आक्रमण अफगानिस्तान के सूबेदार मामू ने किया था।

Rajasthan Ke Durg Full Video - CLICK HERE

सिसोदिया वंश का अधिकार -

बप्पा रावल

~ मेवाड़ में गुहिल साम्राज्य के संस्थापक बप्पा रावल (कालमोज) ने 734 ई. में मौर्य वंश के मानमोरी को हराकर चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया था। हालांकि इस किले पर मौर्य, प्रतिहार, परमार, गुहिल, सोलंकी, खिलजी और मुगलों का अधिकार रहा है।
~ इस किले पर अधिकांश निर्माण कुंभा ने करवाया था, इसलिए कुंभा को इस किले का आधुनिक निर्माता भी कहते हैं। कुंभा के समय इस दुर्ग को विचित्रकूट कहते हैं।

कुंभा

चित्तौड़ दुर्ग के प्रवेश द्वार -

~ इस किले में जाने के सात प्रमुख द्वार है। पहला दरवाजा पाडनपोल है, जिसे पाटवनपोल या बड़ा दरवाजा कहते हैं। इस दरवाजे के पीछे रावत बाघसिंह का स्मारक है।
~ दूसरा दरवाज़ा भैरवपोल तथा तीसरा दरवाजा हनुमान पोल है।इन दोनों दरवाजों के बीच जयमल राठौड़ और कल्ला राठौड़ की छतरिया बनी हुई है।
~ चौथा दरवाजा गणेशपोल, पांचवा दरवाजा जोड़लापोल, छठा दरवाजा लक्ष्मणपोल तथा सातवां व अंतिम दरवाजा रामपोल है। इसी अंतिम दरवाजे के सामने पत्ता सिसोदिया का स्मारक है।

चित्तौड़गढ़ किले के प्रमुख दर्शनीय स्थल-

~ विजय स्तंभ, जैन कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति, पद्मिनी महल, फतेह प्रकाश महल, कुम्भा महल

चित्तौड़गढ़ दुर्ग के मुख्य मन्दिर -

~ समिद्धेश्वर मंदिर, कालिका माता का मंदिर, तुलजा भवानी का मंदिर, कुंभस्वामी या कुंभश्याम मंदिर, मीरा मंदिर, श्रृंगार चंवरी, सतबीस‌ देवरी

राजस्थान के नए जिले 2023 - CLICK HERE

Rajasthan Ke Durg Full Video - CLICK HERE

चित्तौड़गढ़ दुर्ग के तीन साके -

पहला साका - 1303 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय हुआ। इस समय मेवाड़ के शासक रावल रतन सिंह थे।
दुसरा साका - 8 मार्च 1535 को गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के आक्रमण के समय हुआ। इस मेवाड़ के शासक राणा विक्रमादित्य थे।
तीसरा साका - 1568 में अकबर के आक्रमण के समय हुआ था। इस समय मेवाड़ के शासक उदयसिंह था।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !