भारतीय संविधान का भाग 1 ( Part 1 of the Indian Constitution )

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भारतीय संविधान का भाग 1 

मूल भारतीय संविधान में 22 भाग थे और वर्तमान में 22 भाग ही है, जबकि वर्तमान में उप-भाग सहित संख्या 25 है।

भाग - 1 : संघ और उसका राज्य क्षेत्र (अनुच्छेद 1-4)

अनुच्छेद 1 : संघ का नाम और राज्य क्षेत्र -

  • (1) भारत अर्थात इंडिया राज्यों का संघ होगा।
  • (2) राज्य और राज्य क्षेत्र वे होंगे जो पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट है।
  • (3) भारत के राज्य क्षेत्र में - (क) राज्यों के राज्य क्षेत्र, (ख) पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट संघ राज्यक्षेत्र और (ग) ऐसे अन्य राज्य क्षेत्र जो अर्जित किए जाएं, समाविष्ट होंगे।

अनुच्छेद 2 : नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना - 

  • संसद, विधि द्वारा, ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी।

अनुच्छेद 2क : सिक्किम का संघ के साथ सहयुक्त किया जाना -

  • 36वें संविधान संशोधन अधिनियम ,1975 की धारा 5 द्वारा (26.4.1975 से) निरसित ।

अनुच्छेद 3 : नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों ,सीमाओं या नामों में परिवर्तन -

संसद, विधि द्वारा-
  • (क) किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी।
  • (ख) किसी राज्य का क्षेत्र बड़ा सकेगी;
  • ( ग) किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी;
  • (घ) किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी;
  • (ड़) किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी;
 परंतु इस प्रयोजन के लिए कोई विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना और जहां विधेयक में अंतर्विष्ट प्रस्थापना का प्रभाव राज्यों में से किसी के क्षेत्र, सीमाओं या नाम पर पड़ता है वहां जब तक उस राज्य के विधानमंडल द्वारा उस पर अपने विचार, ऐसी अवधि के भीतर जो निर्देश में विनिर्दिष्ट की जाए या ऐसी अतिरिक्त अवधि के भीतर जो राष्ट्रपति द्वारा अनुज्ञात की जाए, प्रकट किए जाने के लिए वह विधेयक राष्ट्रपति द्वारा उसे निर्देशित नहीं कर दिया गया है और इस प्रकार विनिर्दिष्ट या अनुज्ञात अवधि समाप्त नहीं हो गई है, संसद के किसी सदन में पुर:स्थापित नहीं किया जाएगा।
  • स्पष्टीकरण 1 - इस अनुच्छेद के खंड (क) से खंड (ड़) में, "राज्य" के अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र है, किंतु परंतुक में "राज्य"के अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र नहीं है।
  • स्पष्टीकरण 2 - खंड (क) द्वारा संसद को प्रदत्त शक्ति के अंतर्गत किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के किसी भाग को किसी अन्य राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के साथ मिलाकर नए राज्य या संघ राज्यक्षेत्र का निर्माण करना है।

अनुच्छेद 4 : पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक, अनुषांगिक और पारिमाणिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियां - 

  • (1) अनुच्छेद 2 या अनुच्छेद 3 में निर्दिष्ट किसी विधि में पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन के लिए ऐसे उपबंध अंतर्विष्ट होंगे जो उस विधि के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक हों तथा ऐसे अनुपूरक, अनुषांगिक और पारिमाणिक उपबंध भी ( जिनके अंतर्गत ऐसी विधि से प्रभावित राज्य या राज्यों के संसद में और विधानमंडल या विधानमंडलों में प्रतिनिधित्व के बारे में उपबंध है ) अंतर्विष्ट हो सकेंगे जिन्हें संसद आवश्यक समझे।
  • (2) पूर्वोक्त प्रकार की कोई विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी।

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