भारतीय संविधान की अनुसूचियां
भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत संविधान है। इसके बावजूद संविधान के अनुच्छेदों में विस्तृत जानकारी नहीं दी है। इसलिए अनुच्छेदों के विस्तारीकरण के लिए अनुसूचियों की व्यवस्था की गयी है।
- भारत के मूल संविधान में 8 अनुसूचियां थी, लेकिन वर्तमान में 12 अनुसूचियां हैं। 9वीं अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन 1951 द्वारा, 10वीं अनुसूची 52वें संविधान संशोधन 1985 के द्वारा, 11वीं अनुसूची 73वें संविधान संशोधन 1992 के द्वारा और 12वीं अनुसूची 74वें संविधान संशोधन 1992 के द्वारा जोड़ी गई।
पहली अनुसूची - संघ व राज्य क्षेत्र
- भारत के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों का उल्लेख किया है। वर्तमान में 28 राज्य व 8 केंद्र शासित प्रदेश है। नए राज्य के गठन व नाम में परिवर्तन होने पर इस अनुसूची पर प्रभाव पड़ता है।
दूसरी अनुसूची - संवैधानिक पदाधिकारीयों के वेतन का उल्लेख
- राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा व विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, राज्यसभा व विधानपरिषद के सभापति व उपसभापति, उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, नियंत्रक व महालेखा परीक्षक के वेतन का उल्लेख मिलता है।
- Note: वे अधिकारी जिसके नाम से वेतन नहीं होता है- उपराष्ट्रपति ( उपराष्ट्रपति, राज्यसभा का पदेन सभापति और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्यभार संभालता है। )
- Note: संविधान में जिनके वेतन का प्रावधान नहीं है- महान्यायवादी और महाधिवक्ता
तीसरी अनुसूची - संवैधानिक अधिकारियों की शपथ / प्रतिज्ञान
- संसद व विधानमंडल के उम्मीदवार की शपथ
- संसद व विधानमंडल के सदस्य की शपथ
- संघ व राज्य के मंत्री की शपथ
- उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की शपथ
- नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की शपथ
- Note: वे पदाधिकारी जिनकी शपथ का उल्लेख तीसरी अनुसूची में न होकर अनुच्छेद में दिया है - राष्ट्रपति (अनुच्छेद 60), उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 69), राज्यपाल (अनुच्छेद 159)
- Note: ऐसे पदाधिकारी जिनकी शपथ नहीं होती है- महान्यायवादी, महाधिवक्ता, लोकसभा व विधानसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, राज्यसभा और विधानपरिषद के सभापति व उपसभापति (प्रधानमंत्री, उपप्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के नाम से शपथ संविधान में नहीं है। यह मंत्री के पद की शपथ लेते हैं।)
चौथी अनुसूची - राज्यसभा सीटों का आवंटन
- राज्यसभा में सीटों के आवंटन का आधार जनसंख्या के आधार पर है। राज्यसभा में अधिकतम सदस्य 250 हो सकते हैं जबकि वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य 245 है। जिसमें 12 सदस्य मनोनीत और 233 सदस्य निर्वाचित होते हैं।
पांचवी अनुसूची - इसका संबंध अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण से
- अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है। इन क्षेत्रों के जल, जंगल व जमीन की सुरक्षा हेतु एक जन परिषद का गठन किया जाता है, जिसमें 20 सदस्य होते हैं।
छठी अनुसूची - इसका संबंध असम, मिजोरम, मेघालय व त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन एवं नियंत्रण से
- इन क्षेत्रों के जल, जंगल व जमीन की सुरक्षा हेतु एक जनपद का गठन किया जाता है, जिसमें 30 सदस्य होते हैं। छठी अनुसूची को संविधान के अंदर संविधान की संज्ञा दी जाती है।
सातवीं अनुसूची - विषयों का बंटवारा
- संघ सूची जिसमें मूल 97 विषय थे जबकि वर्तमान में 100 विषय है। इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार संसद को है।
- राज्य सूची में मूल 66 विषय थे जबकि वर्तमान में 61 विषय है। इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार राज्यों की विधानमंडल के पास है।
- समवर्ती सूची इसमें मूल 47 विषय थे जबकि वर्तमान में 52 विषय है। इन विषयों पर संसद व राज्यों की विधानमंडल कानून बना सकती है। संसद और विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून का टकराव होने पर संसद द्वारा बनाए कानून प्रभावी होता है।
- संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के माध्यम से केंद्र व राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है।
आठवीं अनुसूची - भाषा
- मूल रूप से इस सूची में 14 भाषाएं थी जबकि वर्तमान में 22 भाषाएं हैं।
- 21वें संविधान संशोधन 1967 द्वारा 15वीं भाषा के रूप में सिंधी को जोड़ा गया। 71वें संविधान संशोधन 1992 के द्वारा नेपाली, मणिपुरी, कोकणी को क्रमशः 16, 17, 18 वीं भाषा के रूप में जोड़ा गया। 92वें संविधान संशोधन 2003 के द्वारा बोडो, डोगरी, मैथिली, संथाली को क्रमशः 19, 20, 21, 22 वीं भाषा के रूप में जोड़ा गया।
- इस अनुसूची में छह शास्त्रीय भाषाएं संस्कृत, तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम और ओड़िया है।
नौवीं अनुसूची - प्रथम संविधान संशोधन 1951 द्वारा जोड़ी गयी
- इस अनुसूची में भूमि सुधार से संबंधित कानून शामिल किए गए हैं।
- इस अनुसूची में प्रावधान किया गया था कि किसी भी कानून को यदि नौवीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाता है तो न्यायपालिका ऐसे कानून की जांच / समीक्षा / पुनरावलोकन नहीं करेगी।
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद 1973 - यदि कोई कानून संविधान के मूल ढांचे के विपरीत है, भले ही उसे नौवीं अनुसूची में डाल दिया है, न्यायपालिका ऐसे कानून की जांच करेगी।
- आर आर कोएल्हो बनाम तमिलनाडु राज्य वाद 2007 - उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सभी प्रकार के क़ानून का पुनरावलोकन हो सकता है, लेकिन 1973 से पूर्व के क़ानूनों का पुनरावलोकन नहीं होगा।
- मूल रूप से नौवीं अनुसूची में 13 कानून थे, लेकिन वर्तमान में 284 कानून है।
10वीं अनुसूची - दल बदल कानून (आयाराम गयाराम कानून)
- इसे 52वें संविधान संशोधन 1985 के द्वारा जोड़ा गया।
- दल बदल माना जाएगा -
- यदि 2/3 से कम सदस्य दूसरे दल में चल जाए
- यदि पार्टी से इस्तीफा दे दे
- अगर कोई स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विजय होता है लेकिन पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर लेता है
- पार्टी के आदेश का उल्लंघन यानी व्हीप का उल्लंघन करें
- दलबदल नहीं माना जाएगा -
- अगर कोई सांसद या विधायक पार्टी के टिकट से विजय होता है, लेकिन 2/3 सदस्य से अधिक पार्टी के सदस्य दूसरे दल में चले जाएं
- अगर कोई मनोनीत सदस्य 6 माह में किसी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर लेता है
- अगर पार्टी स्वयं किसी सदस्य को निष्कासित कर दें
- अगर कोई गठबंधन चुनाव से पहले या चुनाव के बाद टूट जाए तो सदस्यता समाप्त नहीं होगी
- लोकसभा व विधानसभा के अध्यक्ष तथा राज्यसभा व विधानपरिषद के सभापति पर व्हीप पर लागू नहीं होती है। दलबदल का निर्णय संबंधित सदन का अध्यक्ष या सभापति करता है।
11वीं अनुसूची - 73वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा जोड़ी गई
- यह पंचायती राज से संबंधित है, जिसमें 29 विषय हैं।
12वीं अनुसूची - 74 में संविधान संशोधन 1992 द्वारा जोड़ी गई
- यह अनुसूची नगरीय निकाय से संबंधित है, जिसमें 18 विषय हैं।
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- भारतीय संविधान की विशेषताएं
- भारतीय संविधान के स्रोत
- संविधान के भाग (Parts of the Constitution)
- भारतीय संविधान का भाग 1
- विभिन्न वंश / गौत्र और उनकी कुलदेवियां
- कुलदेवी कौन है और विभिन्न गौत्रों की कुलदेवियां