भारतीय संविधान की विशेषताएं
भारतीय संविधान के निर्माण के समय विश्व के प्रमुख संविधानों का गहन अध्ययन किया गया और भारतीय संदर्भ में संविधान सभा द्वारा लंबी बहस के बाद प्रारूप तैयार किया गया। इस प्रारूप को तैयार करने और विचार-विमर्श करने में संविधान सभा को कुल 2 वर्ष 18 माह 11 दिन लगे और इसे पूर्ण रूप से 26 जनवरी 1950 को अपना लिया गया।
विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान -
- भारत के संविधान में मूल रूप से 395 अनुच्छेद, 22 भाग, 8 अनुसूचियां थी लेकिन वर्तमान में उप-अनुच्छेदों सहित 460+ अनुच्छेद, उप-भाग सहित 25 भाग व 12 अनुसूचियां हैं।
- भारतीय संविधान का विस्तृत रूप होने का कारण निम्न है -
- संपूर्ण देश के लिए एक ही संविधान हैं अर्थात् राज्यों हेतु पृथक से संविधान का प्रावधान नहीं है।
- भारत की भौगोलिक विविधता व जनसंख्या।
- तीन स्तरों की सरकारों का उल्लेख (संघ, राज्य व स्थानीय सरकार)
- वंचित वर्ग के हितों का विशेष ध्यान (एससी, एसटी, महिला व अल्पसंख्यक)
संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न राज्य -
- भारत के आंतरिक (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक) एवं बाहरी (विदेश नीति, पड़ोसी देशों से संबंध) मामलों में किसी भी दूसरे देश के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया गया है।
- Note: संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न शब्द का उल्लेख संविधान की प्रस्तावना में किया गया है।
भारत एक समाजवादी राज्य -
- समाजवाद - उत्पादन व वितरण के साधनों पर सार्वजनिक नियंत्रण (सरकार का)
- समाजवादी राज्य - (क) साम्यवादी समाजवादी - पूर्णतः सार्वजनिक नियंत्रण (ख) मिश्रित या लोकतांत्रिक समाजवाद - सार्वजनिक व निजी अस्तित्व को स्वीकार (भारत में)
- Note: संविधान की प्रस्तावना में 42वें संविधान संशोधन, 1976 के द्वारा समाजवाद शब्द उल्लेखित हैं एवं संविधान का भाग 4 समाजवादी राज्य की स्थापना पर बल देता है।
पंथनिरपेक्ष राज्य -
- भारत का कोई राज्य धर्म नहीं है। सभी धर्मों के प्रति एक समान नीति को अपनाया गया है। ना तो किसी धर्म विशेष को प्रोत्साहित किया गया है और नहीं किसी धर्म विशेष को हतोत्साहित किया गया है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि भारत धर्म विरोधी है।
- Note: S.R. बोम्मई बनाम भारत संघवाद, 1994 में उच्चतम न्यायालय ने कहा पंथनिरपेक्षता संविधान के मूल ढांचे में शामिल है।
संविधान की सर्वोच्चता व न्यायिक पुनरावलोकन -
- भारत में अमेरिका के समान संविधान की सर्वोच्चता को अपनाया गया है। संसद संप्रभु है, लेकिन सर्वोच्च नहीं है।
- न्यायिक पुनरावलोकन - न्यायपालिका प्रत्येक विधि / कानून की जांच कर सकती है एवं जो कानून संविधान के अनुसार नहीं है न्यायपालिका ऐसी विधि को रद्द समाप्त कर सकती है।
कठोर व लचीलेपन का मिश्रण (नम्यता एवं अनम्यता का मिश्रण) -
- हमारे संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया न तो ब्रिटेन की तरह अत्यधिक लचीली है और नहीं अमेरिका की तरह अत्यधिक कठोर है।
- संविधान में संशोधन के तीन प्रकार हैं -
- 1. साधारण बहुमत - सदन में उपस्थित सदस्यों के आधे से एक अधिक (नए राज्य का गठन, राज्य की सीमा व नाम में परिवर्तन)
- 2. विशेष बहुमत - कुल सदस्य संख्या का बहुमत (साधारण) एवं उपस्थित व मतदान में भाग लेने वालों का 2/3 बहुमत (मौलिक अधिकारों में संशोधन)
- 3. विशेष बहुमत व आधे राज्यों का अनुमोदन - कुल सदस्य संख्या का बहुमत (साधारण) एवं उपस्थित व मतदान में भाग लेने वालों का 2/3 बहुमत तथा आधे राज्यों के विधानमंडलों द्वारा अनुमोदन (राष्ट्रपति के चुनाव में परिवर्तन, जीएसटी)
- Note: अनुच्छेद 368 के अनुसार संविधान संशोधन के दो प्रकार हैं - विशेष बहुमत और विशेष बहुमत व आधे राज्यों का अनुमोदन।
एकात्मक के साथ संघीय झुकाव -
- भारतीय संविधान व शासन व्यवस्था न तो अमेरिका की तरह पूर्णतः संघात्मक हैं और न ही ब्रिटेन की तरह एकात्मक है।
- भारतीय संविधान की कुछ विशेषताएं एकात्मक शासन व्यवस्था की है। जैसे - अखिल भारतीय सेवा, आपातकालीन प्रावधान, राज्यपाल की नियुक्ति, नए राज्यों का गठन आदि
- जबकि संविधान में कुछ विशेषताएं संघात्मक शासन व्यवस्था की है। जैसे विषयों का बंटवारा, स्वतंत्र न्यायपालिका, लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता
एकीकृत व स्वतंत्र न्यायपालिका -
- भारत में अमेरिका की तरह स्वतंत्र न्यायपालिका को अपनाया गया है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनी रहे, इस हेतु कुछ प्रावधान किए गए हैं। जैसे -
- 1. उच्चतम व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा कॉलेजियम की सिफारिश पर की जाती है।
- 2. न्यायाधीशों को पद से हटाने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल रखी गई है।
- 3. कार्यकाल के दौरान वेतन भत्तों में अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
- Note: कॉलेजियम में पांच न्यायाधीश होते हैं जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और चार अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश होते हैं।
विदेशी स्रोतों से गृहित भारतीय संविधान -
- संविधान पर विश्व के कई देशों का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। संविधान का सबसे बड़ा स्रोत 1935 का भारतीय शासन अधिनियम है, जिनसे लगभग 250 अनुच्छेद प्रभावित हैं। इसके अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड व दक्षिण अफ्रीका के संविधान का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
संसदीय शासन प्रणाली -
- भारत में ब्रिटेन की तरह संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है। जिसमें कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती हैं । संसदीय शासन प्रणाली में दोहरी कार्यपालिका होती है, एक नाममात्र की कार्यपालिका जिसका प्रमुख राष्ट्रपति और राज्यपाल होता है जबकि वास्तविक कार्यपालिका का प्रमुख प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री होता है।
आपातकालीन प्रावधान -
- भारतीय संविधान में आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए अनुच्छेद 352 व अनुच्छेद 360 दिया। इस परिस्थिति में राज्यों की शक्तियां केन्द्र को मिल जाती है।
एकल नागरिकता -
- भारत में एकल नागरिकता को अपनाया गया है अर्थात् अमेरिका की तरह संघ व राज्यों की नागरिकता का प्रावधान नहीं है।
मौलिक अधिकार -
- भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को अपना विकास करने के लिए 7 मूल अधिकार प्रदान किए गए थे, लेकिन 44वें संविधान संशोधन 1978 द्वारा संपत्ति का मौलिक अधिकार समाप्त कर दिया गया है। वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार भारतीय जनता को प्राप्त है ताकि वह गरिमापूर्ण जीवन यापन कर सके।
राज्य के नीति निर्देशक तत्व -
- भारतीय संविधान ने राज्य के लिए कुछ कर्तव्य निर्धारित किए हैं ताकि नागरिकों को बेहतर विकल्प प्रदान कर सके।
मौलिक कर्तव्य -
- मौलिक कर्तव्यों का उपबंध सोवियत संघ से ग्रहण किया गया है। भारत में कर्तव्य नागरिकों के राज्य के प्रति है। मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के द्वारा किया गया है।
Polity Class Part 7 - भारतीय संविधान के स्रोत
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- भारतीय संविधान ( Indian Constitution ) का निर्माण (Click Here)
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- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम और अंतरिम सरकार Click Here
- भारतीय संविधान - प्रस्तावना और 1-395 अनुच्छेद ट्रिक्स से Click Here
- भारतीय संविधान की विशेषताएं
- भारतीय संविधान के स्रोत
- भारतीय संविधान का भाग 1 - संघ और उसका क्षेत्र
- भारतीय संविधान का भाग 2 - नागरिकता