राजस्थान का एकीकरण
ट्रिक- मत्स्य पहले से वृहत फिर संयुक्त वृहत होकर राजस्थान को आधुनिक बनाया ।1. मत्स्य संघ, 2. पूर्वी राजस्थान संघ, 3. संयुक्त राजस्थान,
4. वृहत राजस्थान, 5. संयुक्त वृहत राजस्थान,
6. राजस्थान संघ, 7. आधुनिक राजस्थान
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- राजप्रमुख ट्रिक - उदय भी भोपाल मानो - उदयभान सिंह (धौलपुर), भीम सिंह (कोटा), महाराणा भूपाल सिंह (मेवाड़), सवाई मानसिंह द्वितीय (जयपुर)- 4,5 व 6 चरण में
- प्रधानमंत्री ट्रिक - शोभा गोकुल में मणि हीरा - शोभाराम कुमावत, गोकुल लाल असावा, माणिक्य लाल वर्मा, हीरालाल शास्त्री (हीरालाल शास्त्री 4 व 5वें चरण में प्रधानमंत्री और 6वें चरण में मुख्यमंत्री)
पहला चरण - मत्स्य संघ
- ट्रिक- अभी का धोनी - अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर व नीमराणा (ठिकाना)
- स्थापना - 18 मार्च 1948
- राजधानी - अलवर
- राजप्रमुख - उदयभान सिंह
- प्रधानमंत्री - शोभाराम कुमावत
- उद्घाटनकर्त्ता - वीं.एन. गॉडगिल
दूसरा चरण - पूर्वी राजस्थान संघ
- ट्रिक- बाबू शाह की झाडू को पटा कर लाया
- बांसवाड़ा, बूंदी, शाहपुरा, किशनगढ़, झालावाड़, डूंगरपुर, कोटा, प्रतापगढ़, टोंक, कुशलगढ़ (ठिकाना), लावा(ठिकाना)
- स्थापना - 25 मार्च 1948
- राजधानी - कोटा
- राजप्रमुख - भीमसिंह
- प्रधानमंत्री - गोकुल लाल असावा
- उद्घाटनकर्त्ता - वी. एन. गॉडगिल
तीसरा चरण - संयुक्त राजस्थान
- पूर्वी राजस्थान संघ में मेवाड़ शामिल
- स्थापना - 18 अप्रैल 1948
- राजधानी - उदयपुर
- राजप्रमुख - महाराणा भूपालसिंह
- प्रधानमंत्री - माणिक्य लाल वर्मा
- उद्घाटनकर्त्ता - जवाहर लाल नेहरू
चौथा चरण - वृहत राजस्थान
- संयुक्त राजस्थान में जोधपुर, जयपुर, बीकानेर व जैसलमेर को शामिल
- स्थापना - 30 मार्च 1949 (राजस्थान दिवस)
- राजधानी - जयपुर
- राजप्रमुख - सवाई मानसिंह द्वितीय
- प्रधानमंत्री - हीरालाल शास्त्री
- महाराज प्रमुख - महाराणा भूपालसिंह
- उद्घाटनकर्त्ता - सरदार पटेल
पांचवा चरण - संयुक्त वृहत राजस्थान
- वृहत राजस्थान में मत्स्य संघ शामिल
- स्थापना - 15 मई 1949
- राजधानी - जयपुर
- राजप्रमुख - सवाई मानसिंह द्वितीय
- प्रधानमंत्री - हीरालाल शास्त्री
- मत्स्य संघ को डॉ शंकर देव राय समिति की सिफारिश पर वृहत राजस्थान में शामिल किया गया
छठा चरण - राजस्थान संघ
- स्थापना - 26 जनवरी 1950
- राजधानी - जयपुर
- सिरोही का राजस्थान में विलय (आबू-दिलवाड़ा को छोड़कर)
- राजप्रमुख - सवाई मानसिंह द्वितीय
- मुख्यमंत्री - हीरालाल शास्त्री
- राजस्थान को 'बी' श्रेणी का दर्जा दिया गया था
सातवां चरण - आधुनिक राजस्थान
- स्थापना - 1 नवंबर 1956
- अजमेर-मेरवाड़ा, आबू-दिलवाड़ा (सिरोही) तथा मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की भानपुर तहसील का सुनेल टप्पा राजस्थान में शामिल किया गया और कोटा से सिरोंज क्षेत्र मध्य प्रदेश को दिया गया ।
- मुख्यमंत्री - मोहनलाल सुखाड़िया
- राज प्रमुख का पद समाप्त कर राज्यपाल पद का प्रारंभ
- प्रथम राज्यपाल - गुरुमुख निहाल सिंह
- 7वें संविधान संशोधन द्वारा राज्यों की श्रेणी समाप्त
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राजस्थान के एकीकरण के महत्वपूर्ण बिंदु -
- 7 चरणों में 18 मार्च 1948 से लेकर 1 नवंबर 1956 को पूरा हुआ ।
- एकीकरण में 8 वर्ष 7 माह व 14 दिन का समय लगा ।
- स्वतंत्रता के समय 19 रियासतें , 3 ठिकाने - लावा(टोंक), कुशलगढ़ (बांसवाड़ा), नीमराणा (अलवर) तथा 1 केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा था ।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत जोधपुर एवं सबसे छोटी रियासत शाहपुरा थी ।
- सबसे प्राचीन रियासत मेवाड़ (उदयपुर) एवं सबसे नई रियासत अंग्रेजों द्वारा निर्मित झालावाड़ थी ।
- शाहपुरा व किशनगढ़ रियासतों को तोप की सलामी का अधिकार नहीं था ।
- एकीकरण की प्रक्रिया में सबसे अंत में शामिल होने वाली रियासत सिरोही थी ।
- आबू-दिलवाड़ा (सिरोही) व अजमेर-मेरवाड़ा केंद्र-शासित प्रदेश को राज्य पुनर्गठन आयोग (अध्यक्ष-फैजल अली) की सिफारिश पर राजस्थान में शामिल किया गया ।
- शाहपुरा ऐसी रियासत थी, जिसके राजा सुदर्शनदेव ने गोकुललाल असावा के नेतृत्व में मंत्रिमंडल का गठन कर पूर्णतः उत्तरदाई शासन की स्थापना की थी ।
- मत्स्य संघ की दो रियासतें धौलपुर व भरतपुर के कुछ लोग भाषा के आधार पर उत्तर प्रदेश में मिलना चाहते थे, लेकिन भारत सरकार द्वारा गठित डॉ. शंकर देव राय समिति की सिफारिश पर मत्स्य संघ को राजस्थान में शामिल किया गया ।
- बांसवाड़ा के महारावल चंद्रवीर सिंह ने विलय-पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा था कि "मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं।
- महात्मा गांधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने व षड्यंत्रकारियों को शरण देने के आरोप में अलवर महाराजा तेजसिंह व प्रधानमंत्री डॉ. खरे को 7 फरवरी 1948 को जांच पूरी होने तक दिल्ली में रहने के निर्देश दिए गए थे ।
- अलवर का प्रशासन भारत सरकार ने अपने हाथ में ले लिया ।
- समाजवादी दल के नेता जयप्रकाश नारायण ने सर्वप्रथम 9 नवंबर 1948 को अविलंब वृहत राजस्थान के निर्माण की मांग की ।
- जोधपुर के महाराजा हनुवंत सिंह, मोहम्मद अली जिन्ना व भोपाल नवाब के कहने पर पाकिस्तान में मिलना चाहते थे ।
- भारत सरकार द्वारा गठित डॉ. पी. सत्यनारायण राव समिति ने भौगोलिक व पेयजल की सुविधा की दृष्टि से जयपुर को राजधानी, जोधपुर में उच्च न्यायालय, भरतपुर में कृषि विभाग, उदयपुर में खनिज विभाग, बीकानेर में शिक्षा विभाग का मुख्यालय बनाने का निर्णय लिया ।
- एकीकरण की प्रक्रिया के दौरान कोटा के महाराव भीम सिंह ने कोटा, बूंदी व झालावाड़ को मिलाकर हाड़ौती संघ और डूंगरपुर महारावल लक्ष्मण सिंह द्वारा डूंगरपुर, बांसवाड़ा एवं प्रतापगढ़ को मिलाकर वांगड़ संघ बनाने का विफल प्रयास किया गया ।
- रियासती विभाग के नियमों के अनुसार जिस रियासत की वार्षिक आय एक करोड़ से अधिक तथा जनसंख्या 10,00000 से अधिक हो, वही रियासत स्वतंत्र रह सकती थी ।
- इस दृष्टिकोण से जयपुर, जोधपुर, बीकानेर तथा उदयपुर रियासतें ही स्वतंत्र रह सकती थी ।
- मत्स्य संघ का उद्घाटन लोहागढ़ के किलें (भरतपुर) में हुआ था ।
- मत्स्य संघ का नाम कन्हैयालाल माणिक्यलाल मुंशी दिया था ।
- फैजल अली की अध्यक्षता में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों पर कोटा का सिरोंज क्षेत्र मध्य प्रदेश को तथा मध्यप्रदेश के मंदसौर का सुनील टप्पा राजस्थान में शामिल किया गया ।
- वर्तमान में सुनेल टप्पा झालावाड़ में है ।
- 1 नवंबर 1956 में फैजल अली की अध्यक्षता में गठित आयोग द्वारा राजप्रमुख पद को समाप्त कर राज्यपाल पद सृजित किया गया ।
- राज्यपाल के पहले राज्यपाल गुरुमुख निहाल सिंह थे ।
- हीरालाल शास्त्री का पदनाम 7 अप्रैल 1949 से 25 जनवरी 1950 तक प्रधानमंत्री था, 26 जनवरी 1950 में संविधान लागू होने के बाद इस पद का नाम मुख्यमंत्री कर दिया गया ।
- 3 मार्च 1952 में राजस्थान में मुख्यमंत्री के आम चुनाव हुए, राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल बने ।
आजादी के समय राजस्थान की रियासतें और शासक -
- अलवर - महाराजा तेज सिंह, भरतपुर - महाराजा बृजेंद्र सिंह, धौलपुर - महाराजा उदयभान सिंह, करौली - महाराज गणेशपाल देव, कोटा - महाराव भीम सिंह, बूंदी - महारावल बहादुर सिंह, झालावाड़ - महाराजा हरिश्चंद्र बहादुर, बांसवाड़ा - महाराजा चंद्रवीर सिंह, डूंगरपुर - महारावल लक्ष्मण सिंह, प्रतापगढ़ - महारावल अंबिका प्रताप सिंह, शाहपुरा - राजा सुदर्शन देव, जैसलमेर - महाराजा रघुनाथ सिंह बहादुर, किशनगढ़ - महाराजा सुमेरसिंह, बीकानेर - महाराजा शार्दुल सिंह, टोंक - नवाब अजीजउद्दौला, सिरोही - महाराव अभय सिंह, उदयपुर - महाराणा भूपाल सिंह, जयपुर - महाराजा मानसिंह द्वितीय, जोधपुर - महाराजा हनुवंत सिंह
- ठिकाने - नीमराणा (अलवर) - राजा राजेंद्र सिंह, लावा (टोंक) - ठाकुर बंसप्रदीप सिंह, कुशलगढ़ (बांसवाड़ा) - राव हरेंद्र कुमार सिंह
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